अब कपार पर हाथ धरे क्यों बैठे हो भईया, जो हुआ सो हुआ ! इतनी भी पीर क्यों पैदा करनी ? अरे ! जिसे माँ –बाप के बारे में सोचना होता, वो भला ऐसे कदम थोड़े ही उठाता ? पैदा होते मर ना गयी कुलक्षनी , करमजली | ननिहाल ,ददिहाल ,गाँव ,गिरांव सबके थूथुन पर गोबर पाथ दिया , किसी को मुँह दिखाने लायक छोड़ा है भला ? शशी ने भड़की हुई ननद से धीरे से कहा –“चुप करिए जीजी ! आपकी बातें सुनकर अभी ये मुझी पर बरस पड़ेंगे |” ननद ने मुँह बनाते हुए - “हुंह .....तो बरस पड़ें , हमारे भाई की नाक कटी है,छाती पर होलिका जली है ,और तुम ...
रिपोर्ट की समस्या
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