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कटी नाक, जुड़ी नाक

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अब कपार पर हाथ धरे क्यों बैठे हो भईया, जो हुआ सो हुआ ! इतनी भी पीर क्यों पैदा करनी ? अरे ! जिसे माँ –बाप के बारे में सोचना होता, वो भला ऐसे कदम थोड़े ही उठाता ? पैदा होते मर ना गयी कुलक्षनी , करमजली | ननिहाल ,ददिहाल ,गाँव ,गिरांव सबके थूथुन पर गोबर पाथ दिया , किसी को मुँह दिखाने लायक छोड़ा है भला ? शशी ने भड़की हुई ननद से धीरे से कहा –“चुप करिए जीजी ! आपकी बातें सुनकर अभी ये मुझी पर बरस पड़ेंगे |” ननद ने मुँह बनाते हुए - “हुंह .....तो बरस पड़ें , हमारे भाई की नाक कटी है,छाती पर होलिका जली है ,और तुम ...

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लेखक के बारे में

अमरपाल सिंह ‘ आयुष्कर ’ जन्म : 1 मार्च ग्राम- खेमीपुर, अशोकपुर , नवाबगंज जिला गोंडा , उत्तर - प्रदेश दैनिक जागरण, हिन्दुस्तान ,कादम्बनी,वागर्थ ,बया ,इरावती प्रतिलिपि डॉट कॉम , सिताबदियारा ,पुरवाई ,हमरंग आदि में रचनाएँ प्रकाशित 2001 में बालकन जी बारी संस्था द्वारा राष्ट्रीय युवा कवि पुरस्कार 2003 में बालकन जी बारी -युवा प्रतिभा सम्मान आकाशवाणी इलाहाबाद से कविता , कहानी प्रसारित ‘ परिनिर्णय ’ कविता शलभ संस्था इलाहाबाद द्वारा चयनित मोबाईल न. 8826957462 mail- [email protected]

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Durga Awasthi
    28 जुलाई 2020
    bahut hi achha likha he aapne
  • author
    Richa Mishra
    27 नवम्बर 2020
    अपने बच्चों की खुशियों में अगर लोग शामिल हो जाएं, तो नाक कटने या जुड़ने जैसी नौबत ही न आए। बेटे या बेटी की पसंद जानकर, उसे उचित देखकर विवाह करवा देना कतई गलत नहीं है।
  • author
    Dr. Shanaya Choudhary
    02 अप्रैल 2019
    बिल्कुल सही नब्ज पकड़ने की कोशिश की है कथाकार ने और सफल भी हुए हैं।
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    Durga Awasthi
    28 जुलाई 2020
    bahut hi achha likha he aapne
  • author
    Richa Mishra
    27 नवम्बर 2020
    अपने बच्चों की खुशियों में अगर लोग शामिल हो जाएं, तो नाक कटने या जुड़ने जैसी नौबत ही न आए। बेटे या बेटी की पसंद जानकर, उसे उचित देखकर विवाह करवा देना कतई गलत नहीं है।
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    Dr. Shanaya Choudhary
    02 अप्रैल 2019
    बिल्कुल सही नब्ज पकड़ने की कोशिश की है कथाकार ने और सफल भी हुए हैं।