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कठपुतली

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कठपुतलियां हैँ हम उसके कहने ,पर चलते हम रोते गाते ,औ हंसते हम जीवन की ड़ोर, है उसके हाथ देता एक पल, जीवन औ मृत्यू बस बाबू , कठपुतलियां हैँ हम , राज ठाकुर ...

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लेखक के बारे में
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Raj Thakur

हाजमा बहुत दुरस्त है हमारा, अपनो के कई राज छुपा रखे हैं, अब पूछना न कुछ हमसे, अपनी फितरत बता चुके है।। 🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣 राज ठाकुर वर्तमान में शिक्षक , समाज सेवक अध्यात्म इतिहास और संस्कृति से जुड़ा होने के साथ अपनी नई पीढ़ी को जीवन जीने की कला देने में कृत संकल्प के साथ कविता कहानी एवं अन्य विधाएं को लिखने का प्रयास बचपन से ही किया है। हमेशा ही "राज ठाकुर 'तख्खलुस से लिखते रहे। हम राज ठाकुर के उपनाम से फेसबुक और इंस्टाग्रां पर भी मौजद् है। धर्मेंद्र सिंह चौहान फरीदपुर- बरेली

समीक्षा
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  • author
    सुशीला तिवारी
    09 अक्टूबर 2022
    'बस बाबू कठपुतली है हम ,बेहतरीन रचना
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    सुशीला तिवारी
    09 अक्टूबर 2022
    'बस बाबू कठपुतली है हम ,बेहतरीन रचना