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काठ की हांडी

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कहते हैं काठ की हांडी केवल चढ़ती है एक बार पर सियासत दानों की हांडी तो चढ़ती है बार बार पांच वर्ष तक हमें लूटते हैं जैसे ही काठ की हांडी जलती नजर आती है उसी समय सत्ता का गठबंधन उन्हें फिर नया कर ...

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लेखक के बारे में
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Rakesh Chaurasia

मै राइटर नहीं हूं मै प्रतिलिपि पर सिर्फ पढ़ने के लिए आया था। परंतु प्रतिलिपि पर कुछ लोगो के द्वारा कहने पर लिखना शुरू किया। मै हर तरीके की कहानियां और कविताएं पढ़ना पसंद करता हूं। और लिखता हूं

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Awadhesh Kumar
    26 फ़रवरी 2024
    अदभुत लाजवाब बेहतरीन अति सुन्दर प्रस्तुति, लगता है कि धीरे वह हांडी भी चढ़ने का मौका न मिले, क्योंकि अब जरूरत भी नहीं समझते हैं|✍️✍️👌👌🙏💕
  • author
    Madhu Sethi
    26 फ़रवरी 2024
    बहुत खूब ज़ी बढिय़ा सार्थक सुन्दर भाव व्यक्त करती हुई व्यंग्यात्मक शैली से सजी हुई सुन्दर प्रस्तुति आपकी
  • author
    26 फ़रवरी 2024
    नेताओं की दाल कहीं कहीं नहीं भी गलती है भाई 👍😊 By the way.. नेताओं की खूब खबर ली है 🙏🙏👍👍😊😊
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    Awadhesh Kumar
    26 फ़रवरी 2024
    अदभुत लाजवाब बेहतरीन अति सुन्दर प्रस्तुति, लगता है कि धीरे वह हांडी भी चढ़ने का मौका न मिले, क्योंकि अब जरूरत भी नहीं समझते हैं|✍️✍️👌👌🙏💕
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    Madhu Sethi
    26 फ़रवरी 2024
    बहुत खूब ज़ी बढिय़ा सार्थक सुन्दर भाव व्यक्त करती हुई व्यंग्यात्मक शैली से सजी हुई सुन्दर प्रस्तुति आपकी
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    26 फ़रवरी 2024
    नेताओं की दाल कहीं कहीं नहीं भी गलती है भाई 👍😊 By the way.. नेताओं की खूब खबर ली है 🙏🙏👍👍😊😊