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कतार से कटा घर

4.6
11106

स्कूल की बस सड़क के किनारे रुकी तो हम तीनो बस्ते सम्भाल कर खड़े हो गए । बस ड्राइवर ने बटन दबाया और एक तीन फ़ुट की लम्बी–सी लाल पट्टी खिंच कर बाहर निकल आई जैसे किसी ट्रैफ़िक-पुलिस वाले की बांह हो। उसके ...

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लेखक के बारे में

जन्म: दिल्ली में शिक्षा: पी.एच डी."हिन्दी के सामाजिक नाटकों में युगबोध" विषय पर शोध। कार्यक्षेत्र: विद्यार्थी-जीवन में ही दिल्ली दूरदर्शन पर हिन्दी 'पत्रिका' और “नई आवाज़” कार्यक्रमों में व्यस्त रही। 'झानोदय' के 'नई कलम विशेषांक में 'खाली दायरे' कहानी पर प्रथम पुरस्कार पाने पर लिखने में प्रोत्साहन मिला। कुछ रचनाएँ 'आवेश', 'संचेतना', 'झानोदय' और 'धर्मयुग' में भी छ्पीं। अमरीका आकर, न्यूयॉर्क में "वॉयस आफ अमरीका' की संवाददाता के रूप में काम किया और फिर अगले सात वर्षों तक 'विज़न्यूज़' में तकनीकी संपादक के रूप में। इस दौर में कविताएँ लिखीं जो विभिन्न पत्रिकाओं में छपीं। न्यूयॉर्क के स्थानीय दूरदर्शन पर कहानियों का प्रसारण। पिछले कुछ वर्षों से कहानियां और कविताएं लिखने में रत। कुछ कहानियां वर्त्तमान - साहित्य के प्रवासी महाविशेषांक में छपी है। वागर्थ, हंस, अन्यथा, कथादेश, शोध-दिशा, परिकथा, पुष्पगंधा, हरिगंधा, आधारशिला और वर्त्तमान– साहित्य आदि पत्रिकाओं के अलावा, “अभिव्यक्ति” के कथा महोत्सव-२००८ में “फिर से” कहानी पुरस्कृत हुई। “बहता पानी” कहानी संग्रह (२०१२), भावना प्रकाशन से प्रकाशित। “उजाले की क़सम” कविता संग्रह (२०१३) भावना प्रकाशन संप्रति: विलियम पैट्रसन यूनिवर्सिटी, न्यू जर्सी में हिन्दी भाषा और साहित्य का प्राध्यापन और लेखन।

समीक्षा
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  • author
    SiYa Sihag
    08 जून 2019
    बहुत अच्छी कहानी, इतना सब सहन करने के बाद बहुत कम लोग हिम्मत कर पाते हैं। और अपने देश में तो सोचना भी पाप है,चाहे कानून बन गया हो। पढ़े लिखे लोग भी इस कानून पर जोक्स सुनाते फिरते हैं। शायद प्रेम का सही मतलब चंद लोग ही जानते हैं।
  • author
    Dr. Deepa agrawal
    16 मार्च 2018
    sab ko jine ka ,apni trh pyar krne ka adhikar h, jo jaisa h use vaise hi apnana chahiye....Nice story
  • author
    Ranjan Sharma
    14 सितम्बर 2016
    बहुत ही रोचक कहानी . बहुत दिनों बाद एक अलग विषय पर एक दिलचस्प कहानी पढ़ने को मिली . थेंक्स प्रतिलिपि . इतना खुलापन केवल पश्चिमी समाज में ही हो सकता हैं . भारतीय समाज को इतना फासला तय करने में अभी शायद 50 वर्ष और लगें , बहरहाल इस कहानी का मूल लेखक कौन है ??
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    SiYa Sihag
    08 जून 2019
    बहुत अच्छी कहानी, इतना सब सहन करने के बाद बहुत कम लोग हिम्मत कर पाते हैं। और अपने देश में तो सोचना भी पाप है,चाहे कानून बन गया हो। पढ़े लिखे लोग भी इस कानून पर जोक्स सुनाते फिरते हैं। शायद प्रेम का सही मतलब चंद लोग ही जानते हैं।
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    Dr. Deepa agrawal
    16 मार्च 2018
    sab ko jine ka ,apni trh pyar krne ka adhikar h, jo jaisa h use vaise hi apnana chahiye....Nice story
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    Ranjan Sharma
    14 सितम्बर 2016
    बहुत ही रोचक कहानी . बहुत दिनों बाद एक अलग विषय पर एक दिलचस्प कहानी पढ़ने को मिली . थेंक्स प्रतिलिपि . इतना खुलापन केवल पश्चिमी समाज में ही हो सकता हैं . भारतीय समाज को इतना फासला तय करने में अभी शायद 50 वर्ष और लगें , बहरहाल इस कहानी का मूल लेखक कौन है ??