अँधेरी सड़क पर, आधी जली कार के बाहर, एक हाथ लटक रहा था... उस हाथ में जैसे अब भी जान बाकी थी। कुछ हरकत सी हुई थी उसमें। "समीर.. सुनो।" "क्या हुआ कुविरा? अब तो चली गई वो, खुश हो न? अब हमारे बीच कोई नहीं ...
कुछ इस तरह अपनी जिंदगी को जीते जा रहे हैं।
कि
लिखकर तुझे अपनी कहानियों में तेरे और करीब आ रहे हैं।
पेशे से फिजियोथेरेपिस्ट, दिल से लेखिका।
दिल न आ जाए लेखनी पर, खुद को रोकियेगा।
सारांश
कुछ इस तरह अपनी जिंदगी को जीते जा रहे हैं।
कि
लिखकर तुझे अपनी कहानियों में तेरे और करीब आ रहे हैं।
पेशे से फिजियोथेरेपिस्ट, दिल से लेखिका।
दिल न आ जाए लेखनी पर, खुद को रोकियेगा।
रिपोर्ट की समस्या
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