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कस्तुरी.....

4.3
116959

प्रथम और मंजर की शादी के 17 साल बीत गए थे..... बेटा 15 और बेटी 13 की हो गई....पर अचानक कुछ दिनों से मंजर..... प्रथम के व्यवहार में हुये परिवर्तन को महसुस कर रही थी। पता नहीं क्युँ आजकल घर में रहने पर ...

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समीक्षा
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  • author
    Renu Jain
    18 മെയ്‌ 2020
    लेखिका क्या बताना चाहती है, ज़रा भी स्पष्ट नहीं है। शादी से पहले की मंजर का मेकअप भाई लोग करते थे, यहां तक कि फुटवेयर भी वे ही पहनाते थे। ऐसा लग रहा था किसी थर्ड क्लास हिंदी फिल्म की स्टोरी पढ़ रहे हैं। अब शादी के बाद की स्थिति - सुबह चार बजे से रात के ग्यारह बजे तक मंजर अति व्यस्त रहती थी। घर की आर्थिक स्थिति ऐसी थी कि काम करते, बर्तन मांजते-मांजते मंजर के साथ, नाखून सब ख़राब हो गये थे यानी घर में कोई पार्ट टाइम नौकर भी नहीं रखा जा सकता था। वही मंजर बाद में नौकर रख लेती, किट्टी पार्टी में जाती है। हर तरह के ड्रिंक्स लेने लगती है, यहां तक कि एक कारखाना भी खोल लेती है,वह भी मात्र छह महीने की समयावधि में। लगता है कि अलादीन का चिराग केवल कपोल कल्पना नहीं है। वह आज भी मौजूद है, जो भाग्यवश हमारी लेखिका की मंजर के हाथ लग गया।
  • author
    Vikas
    31 മാര്‍ച്ച് 2017
    ऐसा वर्णन तो कोई भुक्तभोगी या लेखिका ही कर सकती है . अति उत्तम कहानी.
  • author
    Vandana
    07 മെയ്‌ 2020
    बहुत अच्छी कहानी है.. काश हर औरत अपनी कदर समझ कर दूसरों को समझा सकती...
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    Renu Jain
    18 മെയ്‌ 2020
    लेखिका क्या बताना चाहती है, ज़रा भी स्पष्ट नहीं है। शादी से पहले की मंजर का मेकअप भाई लोग करते थे, यहां तक कि फुटवेयर भी वे ही पहनाते थे। ऐसा लग रहा था किसी थर्ड क्लास हिंदी फिल्म की स्टोरी पढ़ रहे हैं। अब शादी के बाद की स्थिति - सुबह चार बजे से रात के ग्यारह बजे तक मंजर अति व्यस्त रहती थी। घर की आर्थिक स्थिति ऐसी थी कि काम करते, बर्तन मांजते-मांजते मंजर के साथ, नाखून सब ख़राब हो गये थे यानी घर में कोई पार्ट टाइम नौकर भी नहीं रखा जा सकता था। वही मंजर बाद में नौकर रख लेती, किट्टी पार्टी में जाती है। हर तरह के ड्रिंक्स लेने लगती है, यहां तक कि एक कारखाना भी खोल लेती है,वह भी मात्र छह महीने की समयावधि में। लगता है कि अलादीन का चिराग केवल कपोल कल्पना नहीं है। वह आज भी मौजूद है, जो भाग्यवश हमारी लेखिका की मंजर के हाथ लग गया।
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    Vikas
    31 മാര്‍ച്ച് 2017
    ऐसा वर्णन तो कोई भुक्तभोगी या लेखिका ही कर सकती है . अति उत्तम कहानी.
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    Vandana
    07 മെയ്‌ 2020
    बहुत अच्छी कहानी है.. काश हर औरत अपनी कदर समझ कर दूसरों को समझा सकती...