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कश्ती का खामोश सफ़र

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चाँद  का  हुस्न निखर रहा है और  चांदनी की चांदी बिखर  रही  है समुन्दर की  लहरों पर l कश्ती का खामोश सफ़र है और रात  की  तन्हाई  है ऐसे में तेरी  याद ही है नज़राना  खामोशी में l स्व रचित दया  ...

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लेखक के बारे में
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Daya Shanker Mathur

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समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Udai Mathur
    21 अक्टूबर 2022
    कश्ती का खामोश सफ़र, रात की तन्हाई, इसमें कवि की बहुत सुंदर कल्पना है। सुंदर कल्पना 🌷🙏🌹
  • author
    N Chow
    20 अक्टूबर 2022
    nice
  • author
    Indu Mathur
    01 नवम्बर 2022
    सुंदर रचना 👌👌👌
  • author
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  • author
    Udai Mathur
    21 अक्टूबर 2022
    कश्ती का खामोश सफ़र, रात की तन्हाई, इसमें कवि की बहुत सुंदर कल्पना है। सुंदर कल्पना 🌷🙏🌹
  • author
    N Chow
    20 अक्टूबर 2022
    nice
  • author
    Indu Mathur
    01 नवम्बर 2022
    सुंदर रचना 👌👌👌