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काश जिंदगी भी फिल्मों की तरह होती,

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काश जिंदगी भी फिल्मों की तरह होती, ख़ूबसूरत लम्हे रहते हर वक़्त पास और दुख भरी राहें बस कुछ पल में गुजर जाती,शायद वक़्त भी कोई इम्तिहान ले रहा है ,इसलिए दर्द पर दर्द दिए जा रहा हैं। ...

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लेखक के बारे में
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Rudra Pratap Singh

खुद का तो कुछ पता नही बस हर दिन रहते है तैयार आशियां बदलने को ......Follow me on Instagram rudra.singhofficial थोड़ा गुम सुम रहता ,न किसी से कुछ कहता हूँ, बस अपनी ही बातों में मद मस्त रहता हूँ, कानो में बाजे लगाए बस गानें सुनते रहते हूँ, किसी से न कुछ कहना न किसी का कुछ सुनना बस अपनी ही धुन में कुछ नए ख़्वाब बुनता रहता हूँ, थोड़ा शर्मिला हूँ पर दोस्ती में बहुत लचीला हूँ, मेरे दोस्त बहुत हैं पर कुछ खास नहीं क्योंकि उनको लगेगा है मेरी दोस्ती में कोई बात नहीं, क्योंकी उन्हैं मेरा लिखा हुआ पड़ने की अदालत, उनके हिसाब से में बहुत लिखता अब उन्हें ये कौन बताए में खुद को कहां अच्छा कहता हूँ, न किसी से लड़ना न किसी से झगड़ना बस चुप चाप रहना , हाँ में थोड़ा औरों से अलग हूँ, इसलिए सबके लिए पागल हूँ, क्योंकि में रुद्रा हूँ।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Lalit Yuvraj
    17 जनवरी 2019
    और बेहतर हो सकती थी... conceptually very good but overall average... keep writing
  • author
    mukesh kumar "कुमार"
    18 जनवरी 2019
    नाइस
  • author
    Writer
    17 जनवरी 2019
    super
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    Lalit Yuvraj
    17 जनवरी 2019
    और बेहतर हो सकती थी... conceptually very good but overall average... keep writing
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    mukesh kumar "कुमार"
    18 जनवरी 2019
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    17 जनवरी 2019
    super