करूणा वह भाव है जो मानव मन मे संचरित अन्य भाव यथा दया,ममता, राग,द्वेष,सुख,दुख की तरह मानव मात्र मे रहता है। करूणा से ही करुण रस की उत्पत्ति होती है । किसी प्राणी मात्र को कष्ट मे देखकर जो ...
बिल्कुल सही कहा आपने मैम। सुदामा से बढ़कर दीन और प्रभु श्री कृष्ण से बढ़कर करुणामई और कौन है। सभी को प्रभु की दया और करुणा की आवश्यकता है ।
हरे कृष्णा जी।🙏🏻🙏🏻
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