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कर्ण- केशव संवाद

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कर्ण - केशव   संवाद                                रचियता- डॉ विजेंद्र सिंह हे केशव दुर्भाग्य मेरा यह, मैं तो हूं राधेय किंतु गुरु जी परशुराम ने क्षत्रिय माना देय क्षत्रिय हूं मैं तो गुरु ...

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लेखक के बारे में
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Vijendra Singh

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समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Poonam Aggarwal
    24 फ़रवरी 2021
    बहुत सुंदर रचना है भाईसाहब । वाकई कर्ण का दुर्भाग्य था कि प्रतिभासंपन्न होते हुए भी उसे केवल दुर्योधन की संगति के कारण विडंबनाओं का सामना करना पड़ा । उसका जीवन विरोधाभासों से भरा था किंतु सूर्यपुत्र कर्ण का नाम आज भी सूर्य की भांति प्रकाशमान है । मैं कर्ण के किरदार से बहुत प्रभावित हूँ । 👌👌💐💐
  • author
    Tena Kumar
    15 अक्टूबर 2023
    very fantastic sir ji
  • author
    Sanjay Kumar
    26 अक्टूबर 2023
    very good👍
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  • author
    Poonam Aggarwal
    24 फ़रवरी 2021
    बहुत सुंदर रचना है भाईसाहब । वाकई कर्ण का दुर्भाग्य था कि प्रतिभासंपन्न होते हुए भी उसे केवल दुर्योधन की संगति के कारण विडंबनाओं का सामना करना पड़ा । उसका जीवन विरोधाभासों से भरा था किंतु सूर्यपुत्र कर्ण का नाम आज भी सूर्य की भांति प्रकाशमान है । मैं कर्ण के किरदार से बहुत प्रभावित हूँ । 👌👌💐💐
  • author
    Tena Kumar
    15 अक्टूबर 2023
    very fantastic sir ji
  • author
    Sanjay Kumar
    26 अक्टूबर 2023
    very good👍