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कनक कनक ते सौ गुनी...

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बहुत पुरानी लोक कथा है...कनक नाम का एक राक्षस हिमालय की तलहटी में निवास करता था। उस सम्पूर्ण पर्वतीय प्रदेश पर कुबेर का राज्य था।वहीं पर्वत शिखर कैलाश पर देवाधिदेव महादेव विराजमान थे।कुबेर के लिए दो ...

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लेखक के बारे में
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asha singh
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Raj Kamra
    13 अप्रैल 2024
    अति उत्तम, आज के व्यस्त दिन के लिए,.. आपकी तरफ से मेरे लिए ये रचना मुझे उपहार सी लगी... आज अति व्यस्तता के चलते, कुछ विशेष लिख नही पाए, ! एक सुंदर , वैशाखी पर्व की कथा को आपकी कलम ने शब्दों से और निखार दिया... 👌👍☺
  • author
    Awadhesh Kumar
    13 अप्रैल 2024
    अदभुत अति सुन्दर बेहतरीन पौराणिक कथा की उत्कृष्ट प्रस्तुति, सचमुच जिस खजाने की खोज बाहर हो रही है, वह आपके अन्दर ही है, बाहर के खजाने से आप कभी तृप्त नहीं हो सकते हैं, लेकिन अन्दर से आप तृप्त हो सकते हैं|✍️✍️👌👌🙏💕
  • author
    13 अप्रैल 2024
    बहुत सुन्दर ख़ज़ाने की बात की है आपने I अप्रतिम एवं लाज़वाब रचना की प्रस्तुति दी है आपने I 👌👌👌👌👌🌷🎊🌷🎊🌷🎊🌷🎊🌷🎊🌷🎊
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    Raj Kamra
    13 अप्रैल 2024
    अति उत्तम, आज के व्यस्त दिन के लिए,.. आपकी तरफ से मेरे लिए ये रचना मुझे उपहार सी लगी... आज अति व्यस्तता के चलते, कुछ विशेष लिख नही पाए, ! एक सुंदर , वैशाखी पर्व की कथा को आपकी कलम ने शब्दों से और निखार दिया... 👌👍☺
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    Awadhesh Kumar
    13 अप्रैल 2024
    अदभुत अति सुन्दर बेहतरीन पौराणिक कथा की उत्कृष्ट प्रस्तुति, सचमुच जिस खजाने की खोज बाहर हो रही है, वह आपके अन्दर ही है, बाहर के खजाने से आप कभी तृप्त नहीं हो सकते हैं, लेकिन अन्दर से आप तृप्त हो सकते हैं|✍️✍️👌👌🙏💕
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    13 अप्रैल 2024
    बहुत सुन्दर ख़ज़ाने की बात की है आपने I अप्रतिम एवं लाज़वाब रचना की प्रस्तुति दी है आपने I 👌👌👌👌👌🌷🎊🌷🎊🌷🎊🌷🎊🌷🎊🌷🎊