बेतरतीब बिखरा हुआ मेरा ये कमरा, खुद में ही सिमटा हुआ, मेरा ये कमरा, सारी दुनिया छोटी सी, बढ़ा लगे मुझे मेरा कमरा, मेरी दुनिया उतनी सी, जितना सा ये मेरा कमरा, कोई आए, बैठे, आराम करे इसमें, कब से बैठा ...
शासकीय सेवक के रूप में मध्यप्रदेश सरकार को अपनी सेवाऐं दे रहा हूं इसी के साथ हिन्दी भाषा की सेवा करने हेतु सरल और वर्तमान हिन्दी भाषा मेें मेरी रचनाऐं आप सभी के लिये। लेखन क्षेत्र में नवीन होने से, अपनी त्रुटियों के लिये क्षमाप्रार्थी रहूंगा।
सारांश
शासकीय सेवक के रूप में मध्यप्रदेश सरकार को अपनी सेवाऐं दे रहा हूं इसी के साथ हिन्दी भाषा की सेवा करने हेतु सरल और वर्तमान हिन्दी भाषा मेें मेरी रचनाऐं आप सभी के लिये। लेखन क्षेत्र में नवीन होने से, अपनी त्रुटियों के लिये क्षमाप्रार्थी रहूंगा।
रिपोर्ट की समस्या
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