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कमली

4.1
380

कमली जानती है कबूतर खरगोश गमला घड़ी लेकिन नहीं पहचानती है क ख ग घ कमली जानती है चौका बर्तन बापू भाई मरद लेकिन नहीं पहचानती हैं अधिकार नेह स्नेह प्रेम का स्पर्श कमली जानती है बेटी बहन पत्नी और माँ के ...

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श्वेता राय

श्वेता राय

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Satyendra Kumar Upadhyay
    24 अक्टूबर 2015
    राष्ट्र भाषा का अनुसरण न करती नितांत सारहीन व अप्रासांगिक कविता है ।
  • author
    Samrat Sudha
    13 जनवरी 2022
    रचना किताबी बातों से अधिक अनुभूति की प्रखरता को उपस्थित कर रही है। कमली के माध्यम से यह स्थापना हो रही है कि कर्तव्य और उसके निर्वहन से मिली संतुष्टि पुस्तकीय शब्दों से कहीं बढ़कर है ! बहुत सुंदर !!
  • author
    Manish Pandey 'Rudra'
    13 अप्रैल 2019
    देखा जाए तो आपकी कवित्त कुछ व्यक्तियों को बकवास लगेगी पर आप ठहरिएगा मत और न ही उनके तीखे वचनों से भटकिएगा आपकी रचना अनमोल है जो अपने आप में कई बारीकियों को अपने भीतर समेटे हुए है।Keep it up
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    Satyendra Kumar Upadhyay
    24 अक्टूबर 2015
    राष्ट्र भाषा का अनुसरण न करती नितांत सारहीन व अप्रासांगिक कविता है ।
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    Samrat Sudha
    13 जनवरी 2022
    रचना किताबी बातों से अधिक अनुभूति की प्रखरता को उपस्थित कर रही है। कमली के माध्यम से यह स्थापना हो रही है कि कर्तव्य और उसके निर्वहन से मिली संतुष्टि पुस्तकीय शब्दों से कहीं बढ़कर है ! बहुत सुंदर !!
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    Manish Pandey 'Rudra'
    13 अप्रैल 2019
    देखा जाए तो आपकी कवित्त कुछ व्यक्तियों को बकवास लगेगी पर आप ठहरिएगा मत और न ही उनके तीखे वचनों से भटकिएगा आपकी रचना अनमोल है जो अपने आप में कई बारीकियों को अपने भीतर समेटे हुए है।Keep it up