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कमल भाई का प्यार में( २५के ५ हो जाते थे)

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बात उन दिनों की है जब हम सब गांव के बच्चे मित्र८वी  पास करके साइकल से दस किलो मीटर दूर  टिमरनी में ९,वी क्लास में पढ़ने के लिए आते  थे। सुबह सात बजे घर से निकलते तब कहीं आठ बजे स्कूल का टाइम मिला ...

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लेखक के बारे में
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Jitendra Mishra

मेरा नाम जितेंद्र मिश्रा है पिताजी नाम आदरणीय श्री सिताचरन मिश्रा माताजी का नाम आदरणीय श्री कमला मिश्रा है मै भारत के मध्यप्रदेश के हरदा शहर के टिमरनी तहसील के छोटे से गांव छिद गांव मेल का रहने वाला हूं मै ब्राम्हण परिवार से हूं और मै और मेरा पूरा परिवार ईश्वर बहुत आस्था विश्वास रखते है मै साधारण सहज सरल जीवन जीना चाहता हूं क्योंकि मुझे सादगी पसंद मुझे सारे संसार से प्रेम है सब मेरे अपने है इंसान जीव जन्तु प्राणी मात्र पर परात्मा दया भाव रखे सब आनंद में रहे मै यही चाहता मुझे ना तो ईश्वर और ना किस्मत किसी कोई शिकायत नहीं है मुझे ईश्वर प्रकृति ने मेरे कर्म और योगिता के अनुसार जिसके लायक है वो दिया उसमे सबसे अच्छी चीज मेरासहज सरल अन्तःकरण है जिसमें महादेव विराजमान है हर हर महादेव

समीक्षा
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    सीमा दहिया
    03 अक्टूबर 2021
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति बहुत खूब लिखा आपने लाजवाब सही बात है।जब पचाने की क्षमता थी तो खाने को नहीं अब खाने को है तो पचाने की क्षमता नहीं। मानवता बहुत बड़ी चीज है समय गुजर जाता है यादें बनीं रहती है।
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    Reeta Gupta "रश्मि"
    03 अक्टूबर 2021
    कमल भाई जैसे लोग दुनिया में बहुत कम हैं जो किसी का एहसान मानते हैं। बहते प्रस्तुति
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    सीमा दहिया
    03 अक्टूबर 2021
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति बहुत खूब लिखा आपने लाजवाब सही बात है।जब पचाने की क्षमता थी तो खाने को नहीं अब खाने को है तो पचाने की क्षमता नहीं। मानवता बहुत बड़ी चीज है समय गुजर जाता है यादें बनीं रहती है।
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    Reeta Gupta "रश्मि"
    03 अक्टूबर 2021
    कमल भाई जैसे लोग दुनिया में बहुत कम हैं जो किसी का एहसान मानते हैं। बहते प्रस्तुति