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कलयुग की नारी

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कहते हैं ये कलयुग की नारी है,, निर्लज्ज ओर व्याभिचारी हैं, ना लाज है न शर्म है,, ना कर्म है ना कोई धर्म है, ना डर है किसी का ना दाब है,, खुद को समझती आफताब है,, इज्जत नहीं  खानदान की कुछ फिकर नहीं ...

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लेखक के बारे में
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Indu s s Mishra
समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    20 मई 2021
    इस कलियुग में इंसां का, आज यही रह गया है काम। सीता जैसी पत्नी चाहें, पर खुद कोई बनता ना राम।।
  • author
    Yash Raj "मुसाफ़िर"
    23 अप्रैल 2022
    बहुत ही उम्दा व्यंग्यात्मक काव्य था आपका पर मुझे लगता है थोड़ा और बैलेंसेड एप्रोच होनी चाहिए थी। माना कि कुछ लोग आजकल बिल्कुल संस्कारो को भूलते जा रहे हैं पर उसमे पुरुष और नारी का बराबर का योगदान है और मेरे खयाल से पुरुषों का ज्यादा है क्योंकि ज्यादातर लड़को को हाई–फाई लड़किया पसंद होती है और अच्छी लड़कियों को बहन जी बोल के चिढ़ाते है कुछ ऐसी ही स्तिथि पुरुषो की भी है तो किसी एक पक्ष को पूरी तरह गलत नहीं ठहरा सकते।
  • author
    संवर्त हर्षित
    03 फ़रवरी 2022
    सच में ना सिर्फ महिलाएं बल्कि पुरुष भी आज के समय में नैतिक मूल्यों और संस्कृति से जुड़े हुए नहीं हैं और कोई समझाने की कोशिश भी करे तो तथाकथित मॉडर्न और कूल लोगों को कुछ समझ में आना नहीं है। कोई भी सभ्यता दूसरी सभ्यता का अनुसरण करके आगे नहीं बढ़ सकती, काफी अच्छा लिखा आपने
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    20 मई 2021
    इस कलियुग में इंसां का, आज यही रह गया है काम। सीता जैसी पत्नी चाहें, पर खुद कोई बनता ना राम।।
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    Yash Raj "मुसाफ़िर"
    23 अप्रैल 2022
    बहुत ही उम्दा व्यंग्यात्मक काव्य था आपका पर मुझे लगता है थोड़ा और बैलेंसेड एप्रोच होनी चाहिए थी। माना कि कुछ लोग आजकल बिल्कुल संस्कारो को भूलते जा रहे हैं पर उसमे पुरुष और नारी का बराबर का योगदान है और मेरे खयाल से पुरुषों का ज्यादा है क्योंकि ज्यादातर लड़को को हाई–फाई लड़किया पसंद होती है और अच्छी लड़कियों को बहन जी बोल के चिढ़ाते है कुछ ऐसी ही स्तिथि पुरुषो की भी है तो किसी एक पक्ष को पूरी तरह गलत नहीं ठहरा सकते।
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    संवर्त हर्षित
    03 फ़रवरी 2022
    सच में ना सिर्फ महिलाएं बल्कि पुरुष भी आज के समय में नैतिक मूल्यों और संस्कृति से जुड़े हुए नहीं हैं और कोई समझाने की कोशिश भी करे तो तथाकथित मॉडर्न और कूल लोगों को कुछ समझ में आना नहीं है। कोई भी सभ्यता दूसरी सभ्यता का अनुसरण करके आगे नहीं बढ़ सकती, काफी अच्छा लिखा आपने