pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

काली भी बनूंगी।।

5
7

हारी नहीं हूंँ,झुकी नहीं हूंँ। जिंदगी के थपेड़ो से ,मैं कभी डरी नहीं हूंँ।। खलिश -ए- ला़ख लिए फिरती हूंँ, दुनियाँ की। फिर भी शिकन नहीं ओढ़ी, कभी उदासी की।। कशमकश-ए-जिदंगी उलझाती है मुझे कई दफा। ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में

दिल के जज्बातों को शब्दों के मोतियों में पिरोने की एक नाकाम कोशिश कर रही हूंँ||

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Pandey Jitendra "Jeet"
    05 फ़रवरी 2021
    बहुत शानदार अभिव्यक्ति 👌👌👌💐💐💐💐💐
  • author
    Saurabh Tawlare
    05 फ़रवरी 2021
    👏👏👏👏🙏
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Pandey Jitendra "Jeet"
    05 फ़रवरी 2021
    बहुत शानदार अभिव्यक्ति 👌👌👌💐💐💐💐💐
  • author
    Saurabh Tawlare
    05 फ़रवरी 2021
    👏👏👏👏🙏