हर ग़म को हर ख़ुशी को जो अपने अहसासों आकार दे वो कलमकार है पहाड़ों नदियों की खूबसूरती को हर भाव में लिख सके वो कलमकार है माँ और पिता पर जो अपना स्नेह बिना स्वार्थ के लुटा क़र उसे किसी भाषा में लिख दे ...
क्यों तुम पहचान कर भी अनजान बने रहते हो
दोस्ती का मुखौटा पहनकर दुश्मनों सा व्यवहार करने लगते हो ll
शायद यही होती है दोस्ती ऐसी कहलाती है दोस्ती
पहले दोस्त बनाते हो फिर दुश्मन बनकर पीठ में खंजर घोपने लगते हो l
Sumi
सारांश
क्यों तुम पहचान कर भी अनजान बने रहते हो
दोस्ती का मुखौटा पहनकर दुश्मनों सा व्यवहार करने लगते हो ll
शायद यही होती है दोस्ती ऐसी कहलाती है दोस्ती
पहले दोस्त बनाते हो फिर दुश्मन बनकर पीठ में खंजर घोपने लगते हो l
Sumi
रिपोर्ट की समस्या
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