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✍️कलमकार ✍️

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हर ग़म को हर ख़ुशी को जो अपने अहसासों आकार दे वो कलमकार है पहाड़ों नदियों की खूबसूरती को हर भाव में लिख सके वो कलमकार है माँ और पिता पर जो अपना स्नेह बिना स्वार्थ के लुटा क़र उसे किसी भाषा में लिख दे ...

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लेखक के बारे में
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Meena (Sumi) Rawlani

क्यों तुम पहचान कर भी अनजान बने रहते हो दोस्ती का मुखौटा पहनकर दुश्मनों सा व्यवहार करने लगते हो ll शायद यही होती है दोस्ती ऐसी कहलाती है दोस्ती पहले दोस्त बनाते हो फिर दुश्मन बनकर पीठ में खंजर घोपने लगते हो l Sumi

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Sandip Sharmaz . Sharmaz "Lucky"
    23 अगस्त 2022
    अदायगी का सुंदर एहसास। जयश्रीकृष्ण जयश्रीकृष्ण जयश्रीकृष्ण सुंदर सृजन। जयश्रीकृष्ण।
  • author
    23 अगस्त 2022
    उत्कृष्ट कलमकार को परिभाषित करती उत्कृष्ट रचना.
  • author
    Adv. Anila Tiwari
    23 अगस्त 2022
    बिल्कुल सही कहा आपने । अति उत्तम ।
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    Sandip Sharmaz . Sharmaz "Lucky"
    23 अगस्त 2022
    अदायगी का सुंदर एहसास। जयश्रीकृष्ण जयश्रीकृष्ण जयश्रीकृष्ण सुंदर सृजन। जयश्रीकृष्ण।
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    23 अगस्त 2022
    उत्कृष्ट कलमकार को परिभाषित करती उत्कृष्ट रचना.
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    Adv. Anila Tiwari
    23 अगस्त 2022
    बिल्कुल सही कहा आपने । अति उत्तम ।