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कलम से क्रांति

4.2
886

अब कलम से क्रांति लानी है। सोई हुई जनता जगानी है। बहुत सह लिया जुल्म ओ सितम, सिर के ऊपर से जा लिया पानी है। अब हर अत्याचारी के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठानी है। एकता में बल होता है सच कर ये कहावत ...

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लेखक के बारे में

पूरा नाम: डॉ सुलक्षणा अहलावत लेक्चरर इन इंग्लिश एजुकेशन डिपार्टमेंट हरियाणा गवर्मेंट

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Satyendra Kumar Upadhyay
    18 अक्टूबर 2015
    जुल्म ओ सितम , ख़ामोशी जैसे शब्द राष्ट्र भाषा ज्ञान व सम्मान दोनों को अच्छी तरह दर्शा रहेहै । नितांत सारहीन व अप्रासांगिक कविता ।
  • author
    Rahul Sharma
    14 सितम्बर 2019
    Bhut अच्छा
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    Satyendra Kumar Upadhyay
    18 अक्टूबर 2015
    जुल्म ओ सितम , ख़ामोशी जैसे शब्द राष्ट्र भाषा ज्ञान व सम्मान दोनों को अच्छी तरह दर्शा रहेहै । नितांत सारहीन व अप्रासांगिक कविता ।
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    Rahul Sharma
    14 सितम्बर 2019
    Bhut अच्छा