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काला धन

4.5
640

इतिहास हम इतिहास के जैसा पढ़ते हैं।बस एक कहानी की तरह। तभी तो हम कुछ नहीँ समझ पाते। वहीं ग़लती बार बार करते हैं। हम विदेश से अच्छे दिन तो आयात कर रहे हैं मगर हम अपने सवाभि मान को ताक़ पर रखकर। जापान ...

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लेखक के बारे में
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आशुतोष कुमार

हिंदी भाषा में लेखन: कविता, गज़ल, व्यंग्य, विभिन्न समकालीन विषय, लघु कहानी, चुटकुले, निबंध, हास्य कविता, नाटक, कहानी, आदि राजनीति, बैंकिंग, रोमांटिक, आध्यात्मिक, सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, आदि के विषय पर लेखन| 16 साल की अल्पायु में निबंध, कविता आदि के माध्यम से ऑल इंडिया रेडियो, पटना के कार्यक्रमों में भाग लेना शुरू किया। नौकरी के साथ अति व्यस्तता के कारण पेशेवर औपचारिक रूप में अपनी रचना फैल नहीं सका। विभिन्न कविताएं, निबंध, चुटकुले, पत्र समय-समय पर कई समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, और इंटरनेट के कई साइट्स पर रोज़ प्रकाशित करना उन्होंने कहा कि एक कलाकार अपने खुद के बारे में अधिक बात नहीं करनी चाहिए बल्कि उनकी अपनी रचना को बोलने दें.

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    jaswant dronawat
    07 ജൂണ്‍ 2019
    काला धन पर अधूरा लिखा गया है निवेदन है कि वे लेखापाल, ठेकेदार को भुगतान करते हैं। कितना धन होता है उनके पास। डाक्टर, वकील, कया है कोई पैमाना उनकी आय का।
  • author
    नव ज्योति
    14 മെയ്‌ 2020
    बहुत अच्छी रचना है वैसे मेरी रचना असफलताएं और विजयी भव: अवश्य पढ़ें।
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    jaswant dronawat
    07 ജൂണ്‍ 2019
    काला धन पर अधूरा लिखा गया है निवेदन है कि वे लेखापाल, ठेकेदार को भुगतान करते हैं। कितना धन होता है उनके पास। डाक्टर, वकील, कया है कोई पैमाना उनकी आय का।
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    नव ज्योति
    14 മെയ്‌ 2020
    बहुत अच्छी रचना है वैसे मेरी रचना असफलताएं और विजयी भव: अवश्य पढ़ें।