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कल तुम न रहो या हम न रहें

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आंसू से कोई रिश्ता है, दर्द भरी इन आँखों का तुम बंद करो अपनी आँखें, हम हँसते नज़र आ जायेंगे सूखी कलियाँ भूले रस्ते, कल मेरी नियति बन जायेंगे कल तुम न रहो या हम न रहें, हम मर के तुम्हें याद आयेंगे....

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लेखक के बारे में

नमस्ते, अपनी रचनाओं के साथ मैं आपके सामने उपस्थित हूँ | मेरी अधिकतर रचनाएँ तब की हैं जब मैं स्कूल या कॉलेज में पढ़ता था | उस समय प्रेम और भावनाएं मुझे बहुत आकर्षित करती थीं, इसलिए मेरी कहानियों और कविताओं में थोडा युवा होते मन की झलक मिलेगी | आपसे गुजारिश है कि मेरी कहानियों और कविताओं को पढ़ें, इसमें कुछ सुधार की आवश्यकता महसूस हो तो मुझे बताकर बेहतर बनाने में मदद करें | शुभकामनाओं सहित, आपका अतुल कुमार पाण्डेय

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    13 अप्रैल 2018
    विचारणीय है आपकी न होने में होने की गुंजाईश और होने में भी पुरे होने की ख्वाइश
  • author
    sagar singh
    24 अप्रैल 2018
    excellent
  • author
    Commando Manish Dubey "Commando"
    05 अप्रैल 2022
    thik h. bss negativity jyada h. 🙏👍🏻
  • author
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    13 अप्रैल 2018
    विचारणीय है आपकी न होने में होने की गुंजाईश और होने में भी पुरे होने की ख्वाइश
  • author
    sagar singh
    24 अप्रैल 2018
    excellent
  • author
    Commando Manish Dubey "Commando"
    05 अप्रैल 2022
    thik h. bss negativity jyada h. 🙏👍🏻