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कजरी

4.6
1687

कथाकार — श्रीमती इन्दुशर्मा              काव्या आज ही इस शहर में पहली बार आयी थी उसका सलक्शन आई.टी. के अन्दर हो गया था। वह बहुत खुश थी। हालाकी उसके घर वालों ने उसे यह कोर्स करने के लिये मना ...

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लेखक के बारे में
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indu sharma

विभिन्न अकादमीयों से राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार प्राप्त कहानी ,नाटक , अनुवाद - लेखन I आकाशवाणी से अनेक कहानियाँ प्रसारित। विभिन्न पत्रिकाओं में श्रेष्ठ कहानियाँ ,नाटक, बालकथा, सामाजिक लेख प्रकाशित I योग्यता -हिन्दी संस्कृत भाषा में लेखन ,शिक्षाचार्या, जुनियर व सीनियर फैलोशिप प्राप्त तकनीकी ज्ञान , अध्ययन-अध्यापन एवं स्वाध्याय में रूचि , राष्ट्रीय- अन्तर्राष्ट्रीय स्तर विभिन्न शोध पत्र-वाचन एवं प्रकाशन व प्रकाशक I यह सभी कहानिया प्रकाशित है सुरक्षित है

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Vijay Choudhary
    18 मई 2022
    अति सुंदर बेहतरीन रचना रचनाकार ने अपनी तूलिका को उस जमाने की राज व्यवस्थाओं को अपने सशक्त शब्दों से सुशोभित किया है सादर शुभकामनाएं
  • author
    Seema Garg
    30 अप्रैल 2021
    बेहतरीन अभिव्यक्ति आपकी किसी फिल्म की कहानी चल रही हो जैसे। वाह
  • author
    Anand Nema "कुमार आनंद"
    20 नवम्बर 2020
    कहानी बहुत अच्छी है शब्द प्रवाह और संयोजन बहुत खूब है । (आग्रह है -कृपया मेरी रचनाएं पढ़े एवं समीक्षा करें धन्यवाद )
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  • author
    Vijay Choudhary
    18 मई 2022
    अति सुंदर बेहतरीन रचना रचनाकार ने अपनी तूलिका को उस जमाने की राज व्यवस्थाओं को अपने सशक्त शब्दों से सुशोभित किया है सादर शुभकामनाएं
  • author
    Seema Garg
    30 अप्रैल 2021
    बेहतरीन अभिव्यक्ति आपकी किसी फिल्म की कहानी चल रही हो जैसे। वाह
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    Anand Nema "कुमार आनंद"
    20 नवम्बर 2020
    कहानी बहुत अच्छी है शब्द प्रवाह और संयोजन बहुत खूब है । (आग्रह है -कृपया मेरी रचनाएं पढ़े एवं समीक्षा करें धन्यवाद )