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Kajaki by Premchand

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मेरी बाल-स्मृतियों में 'कजाकी' एक न मिटने वाला व्यक्ति है। आज चालीस साल गुजर गये; कजाकी की मूर्ति अभी तक आँखों के सामने नाच रही है। मैं उन दिनों अपने पिता के साथ आजमगढ़ की एक तहसील में था। कजाकी जाति ...

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apxxrva
समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Neeraj Tiwari
    02 सितम्बर 2024
    Bahut achai lagi ye kahani mujhe
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    Neeraj Tiwari
    02 सितम्बर 2024
    Bahut achai lagi ye kahani mujhe