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कहीं रोती ज़िन्दगी है

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"कहीं रोती ज़िन्दगी है कहीं हँसती ज़िन्दगी है कहीं ऊँचे मकानों में ज़िन्दगी है कहीं आज भी सड़को पर ज़िन्दगी है"!!! "कहीं लड़ती ज़िन्दगी है कहीं लड़ाती ज़िन्दगी है कहीं अपनों-अपनों में लड़ाती ज़िन्दगी है कहीं आज ...

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लेखक के बारे में
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आयुष जैन
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    मलंग
    25 जून 2020
    बहुत ही सुन्दर रचना है
  • author
    20 नवम्बर 2020
    कविता में बहुत ही गहराई लिए हुए भाव उजागर हैं 👌👌 सुंदर पक्तियां
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    मलंग
    25 जून 2020
    बहुत ही सुन्दर रचना है
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    20 नवम्बर 2020
    कविता में बहुत ही गहराई लिए हुए भाव उजागर हैं 👌👌 सुंदर पक्तियां