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कहां व नादानियां है ?

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दर्पण बता बचपन कहां ? कहां वह नादानियां है ? कहां है मां ! की आंचल की छांव ? कहां है वह बचपन का गांव ? अब तो बस मतलब के रिश्ते ! बढ़ती समझदारी का बोझ! हजार शिकायतें जिंदगी से ! छुपाए रखे हैं मन ...

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लेखक के बारे में
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Pinky Mishra

धरा सा धैर्य है हम में, हृदय अम्बर सा है पाया हम में पले जीवन, हम ही तो हैं इनकी जाया ।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    डी आर महतो "मनु"
    05 नवम्बर 2020
    बेहद खूबसूरत, अति मनभावन, बचपना को सार गर्भित ये सुंदर सरल लेख। बहुत बहुत अच्छा लगा पढ़कर👌👌🖌️
  • author
    Vijay D
    05 नवम्बर 2020
    very nice 👍🏻👍🏻👌👌
  • author
    Seema Bano
    05 नवम्बर 2020
    वाह बहुत शानदार प्रस्तुति
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    डी आर महतो "मनु"
    05 नवम्बर 2020
    बेहद खूबसूरत, अति मनभावन, बचपना को सार गर्भित ये सुंदर सरल लेख। बहुत बहुत अच्छा लगा पढ़कर👌👌🖌️
  • author
    Vijay D
    05 नवम्बर 2020
    very nice 👍🏻👍🏻👌👌
  • author
    Seema Bano
    05 नवम्बर 2020
    वाह बहुत शानदार प्रस्तुति