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कागज़ की कश्ती

4.5
120

आज मौसम का मिजाज सुबह से ही कुछ ठीक नहीं था। तेवर रह रह कर बदल रहे थे। कभी ज़ोर ज़ोर से गरजते बादलों की धुन पर आकाशीय बिजली नृत्य करती प्रतीत हो रही थी, तो कभी धीमी धीमी बरसती नटखट बूँदे धरती की ...

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लेखक के बारे में

डॉ मीनाक्षी शर्मा

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Akhilesh Soni
    30 मई 2021
    बेहतरीन, मैं फिर कह रहा हूं नारी शक्ति वो अदम्य साहस और अदभुत शक्ति जिसे सिर्फ और सिर्फ प्रबल होने की देर है । फिर चाहे कैसे भी हो मन, आत्मा, शारीरिक और मानसिकता से ।
  • author
    Kavita Devi
    16 जुलाई 2020
    interesting story and nice mam👌👌👌👌💐💐💐
  • author
    POOJA ROY
    16 जुलाई 2020
    mst kahani
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    Akhilesh Soni
    30 मई 2021
    बेहतरीन, मैं फिर कह रहा हूं नारी शक्ति वो अदम्य साहस और अदभुत शक्ति जिसे सिर्फ और सिर्फ प्रबल होने की देर है । फिर चाहे कैसे भी हो मन, आत्मा, शारीरिक और मानसिकता से ।
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    Kavita Devi
    16 जुलाई 2020
    interesting story and nice mam👌👌👌👌💐💐💐
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    POOJA ROY
    16 जुलाई 2020
    mst kahani