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कागज की नाव

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" ये बाबूजी भी पता नही कब जाएंगे , कमल ने भी मेरे सर पर एक नई आफत लाकर रख दी " रसोई में खाना बनाते हुए रमेश जी की बहु कमला बड़बड़ा रही थी। बाहर बरामदे में बैठे रमेश जी सब कुछ सुन रहे थे । रमेश जी ...

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लेखक के बारे में

किसी शायर से उसके राज़ न पूछो, कल खुद ही लिख देगा, बस आज न पूछो।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    आयुष जैन
    16 जुलाई 2020
    बहुत ही सुंदर रचना।।
  • author
    निक्की
    11 अगस्त 2021
    nice story
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    आयुष जैन
    16 जुलाई 2020
    बहुत ही सुंदर रचना।।
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    निक्की
    11 अगस्त 2021
    nice story