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कफ़न (मुंशी प्रेमचंद की कहानी)

4.2
1650

झोपड़े के द्वार पर बाप और बेटा दोनों एक बुझे हुए अलाव के सामने चुपचाप बैठे हुए हैं और अन्दर बेटे की जवान बीबी बुधिया प्रसव-वेदना में पछाड़ खा रही थी। रह-रहकर उसके मुँह से ऐसी दिल हिला देने वाली आवाज़ ...

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लेखक के बारे में

अंधेरे और इस्पात के बारे में लिखता हूँ।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Prashant Vishvakarma
    21 जुलाई 2021
    बहुत अच्छी
  • author
    19 जुलाई 2021
    अतिसुंदर है
  • author
    P Kunj
    09 जुलाई 2021
    बहुत सुंदर
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    Prashant Vishvakarma
    21 जुलाई 2021
    बहुत अच्छी
  • author
    19 जुलाई 2021
    अतिसुंदर है
  • author
    P Kunj
    09 जुलाई 2021
    बहुत सुंदर