pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

कचरे वाला

5
22

मेरे दिन की शुरुआत "गाड़ी वाला आया घर से कचरा निकाल" के गाने से होती है। सुबह-सुबह घर की घंटी बजाकर कूड़े वाला कूड़ा लेने के लिए आता है। ऊपर वाला भी जानता है कि सुबह की शुरुआत घर की गंदगी और मन ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
R

जिंदगी के कुछ खट्टे- मीठे सच को, कुछ पुराने लम्हों को, कुछ कड़वी यादों को, कुछ हसीन पल को, कुछ मन में उठे जज्बातों को, अपनो अल्फाजों से सजाने की कोशिश कर रहा हूं। ए जिंदगी मैं तेरे हर वक्त को, अपने रंगो से रंग रहा हू।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Ria Tibda
    18 अप्रैल 2025
    हम डॉक्टर के यहां क्यू में है और इससे बढ़िया क्या हो सकता है कि इस समय को इसे पढ़ने में सदुपयोग कर रहे है ... इसे पढ़ कर मन बहुत सी मिलीजुली भावनाओं में लगा हुआ है...कुछ पर क्रोध,कुछ पर अफसोस और कुछ की इंसानियत पर नमन भी कर रहे है और सबसे बड़ा खयाल की कितनी बार आपकी पीठ थपथपाएंगे 😌जैसे जैसे पढ़ रहे है नाज़ है कि बढ़ता ही जा रहा है 🫡 अब रचना पर आते है .... शुरुआत ही इतनी अदभुत है " ऊपरवाला भी जानता है कि सुबह की शुरुआत घर की और मन की गंदगी निकाल कर करनी चाहिए " 👏👏👏👏👍👍👍👍💯💯💯💯 बहुत गहरी बात लिख देते है आप । कोई मुस्लिम,कोई ब्राह्मण.... कैसी विडंबना है राज की ईश्वर ने कर्म और गुणों के अनुसार ऊंच नीच तय की और हम इंसान देखो ...अपने कर्म से नहीं जन्म से खुद को ऊंचा देख रहे है 😔😔😔 और ऐसा है तो बेशक वो ब्राह्मण और मुस्लिम नीची जाति के हुए और वो सफाईवाला सबसे उच्च जाति का । धर्म इंसानियत सिखाता है और यहां धर्म के नाम पर इंसानियत ही खोती जा रही है 😔😔😔 जिस तरह राज ने उस सफाईवाले की मदद की सराहनीय,प्रशंसनीय है ...और जिस तरह उस सफाईवाले के परिवार वालों ने उसे धन्यवाद किया ...और फिर राज का उस बच्ची के माथे पर हाथ फिर कर जाना,सबकुछ बहुत बहुत द्रवित कर गया... सच में जो सुकून,जो आत्मिक खुशी ऐसे मिलती है वो पूरी ज़ायदाद खर्च कर के कुछ खरीदने पर भी नहीं मिलती ❤️❤️❤️❤️❤️ और नेकी कभी खाली हाथ नहीं जाती...वो ट्रेन कैंसिल होना और दूसरी ट्रेन में सीट मिलने... karma returns 💯💯💯💯☺️☺️☺️☺️ पर अंत में जो हुआ 🥹🥹🥹🥹🥹 उस सफाईवाले का न बच पाना ,अपने भाई को ,राज के लिए संदेश देना और राज का दिल्ली से लाया खिलौना उसकी बेटी के लिए,खुशी खुशी ले कर नीचे उतरना .... भावनाओं से पूर्ण लेखन 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 नमन है आपकी राइटिंग स्किल को 🥹🥹🥹🥹 इंसानियत सच में कभी भी ,ऊंच,नीच,जात पात,अमीरी गरीबी , पढ़ेलिखे या अनपढ़ नहीं देखती ...वो देखती है तो बस करुणा से भरा हृदय ,जो किसी की भी तकलीफ को देख कर द्रवित हो जाए और सहायता के लिए उपलब्ध हो 👍💯🙏🏻🥹 नमन है आपकी लेखनी को ✨✨✨✨✨ खूब तरक्की करे,यशस्वी हो और यूंही लिखते रहिए ✨✨✨✨✨✨✨
  • author
    02 फ़रवरी 2023
    कहानी को हमनें दो बार repeat किया,,,, सच में आज़ की वास्तविक सच्चाई भी है कि इंसानियत बहुत कम लोग ही समझते हैं.... अगर कहीं एक्सीडेंट भी हो जाय तो वह इंसान चाहे कितना भी दर्द से छटपटा रहा हो लेक़िन कोई मदद करने नहीं आता.... बड़ी मुश्किल से ऐसे कम लोग मिलतें हैं जो मदद के लिए आतें हैं। वैसे आपका किरदार वास्तविक में बहुत ही ईमानदार और भावनाओं, किसी पीड़ा को समझने वाला था जैसे कि रामू को मदद के लिए कोई नहीं था सब छुआ - छूत वाले लोग थे....अज़ीब हैं ये लोग जो मुसीबत के वक्त साथ नहीं देतें लेक़िन आपके निःस्वार्थ मदद ने उसे एक जीवन दिया भले ही कुछ समय के लिए ही सही। इसलिए कहा जाता है जो इंसान किसी मजबूर या ज़रूरतमंद की निःस्वार्थ मदद करता है तो वो ईश्वर भी उस इंसान की मदद के लिए हमेशा खड़े होतें हैं। और गरीब लोग भी हम सब की तरह वे भी एक इंसान ही हैं बस,,,, फर्क इतना है कि वो धन से अमीर भले न हों.... लेक़िन दिल ❤️से, और दुआओं से वे लाख गुना अमीर होतें हैं। बहुत बहुत बहुत ही प्रेरक और सराहनीय story लिखा है आपने 🌟💐🌟💐🌟💐🌟💐🌟💐🌟💐🌟✍️✍️
  • author
    Yamini Chauhan
    02 फ़रवरी 2023
    दिल को छूती कहानी आपकी। सही बात है लोगों में इंसानियत नहीं रही। मुसीबत में भी जाता पात देखते हैं। पढ़ लिख कर भी इंसान नहीं बने। इंसान की जान की कीमत इन लोगों की नजर में कुछ भी नहीं है। बहुत अच्छा लिखा आपने। काम से वो छोटा निकला पर दिल से वो अमीरों से अमीर। 👌👌👌👌👌👌🙏💐💐💐🌟☀️☀️🌻☀️🌟🌻☀️
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Ria Tibda
    18 अप्रैल 2025
    हम डॉक्टर के यहां क्यू में है और इससे बढ़िया क्या हो सकता है कि इस समय को इसे पढ़ने में सदुपयोग कर रहे है ... इसे पढ़ कर मन बहुत सी मिलीजुली भावनाओं में लगा हुआ है...कुछ पर क्रोध,कुछ पर अफसोस और कुछ की इंसानियत पर नमन भी कर रहे है और सबसे बड़ा खयाल की कितनी बार आपकी पीठ थपथपाएंगे 😌जैसे जैसे पढ़ रहे है नाज़ है कि बढ़ता ही जा रहा है 🫡 अब रचना पर आते है .... शुरुआत ही इतनी अदभुत है " ऊपरवाला भी जानता है कि सुबह की शुरुआत घर की और मन की गंदगी निकाल कर करनी चाहिए " 👏👏👏👏👍👍👍👍💯💯💯💯 बहुत गहरी बात लिख देते है आप । कोई मुस्लिम,कोई ब्राह्मण.... कैसी विडंबना है राज की ईश्वर ने कर्म और गुणों के अनुसार ऊंच नीच तय की और हम इंसान देखो ...अपने कर्म से नहीं जन्म से खुद को ऊंचा देख रहे है 😔😔😔 और ऐसा है तो बेशक वो ब्राह्मण और मुस्लिम नीची जाति के हुए और वो सफाईवाला सबसे उच्च जाति का । धर्म इंसानियत सिखाता है और यहां धर्म के नाम पर इंसानियत ही खोती जा रही है 😔😔😔 जिस तरह राज ने उस सफाईवाले की मदद की सराहनीय,प्रशंसनीय है ...और जिस तरह उस सफाईवाले के परिवार वालों ने उसे धन्यवाद किया ...और फिर राज का उस बच्ची के माथे पर हाथ फिर कर जाना,सबकुछ बहुत बहुत द्रवित कर गया... सच में जो सुकून,जो आत्मिक खुशी ऐसे मिलती है वो पूरी ज़ायदाद खर्च कर के कुछ खरीदने पर भी नहीं मिलती ❤️❤️❤️❤️❤️ और नेकी कभी खाली हाथ नहीं जाती...वो ट्रेन कैंसिल होना और दूसरी ट्रेन में सीट मिलने... karma returns 💯💯💯💯☺️☺️☺️☺️ पर अंत में जो हुआ 🥹🥹🥹🥹🥹 उस सफाईवाले का न बच पाना ,अपने भाई को ,राज के लिए संदेश देना और राज का दिल्ली से लाया खिलौना उसकी बेटी के लिए,खुशी खुशी ले कर नीचे उतरना .... भावनाओं से पूर्ण लेखन 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 नमन है आपकी राइटिंग स्किल को 🥹🥹🥹🥹 इंसानियत सच में कभी भी ,ऊंच,नीच,जात पात,अमीरी गरीबी , पढ़ेलिखे या अनपढ़ नहीं देखती ...वो देखती है तो बस करुणा से भरा हृदय ,जो किसी की भी तकलीफ को देख कर द्रवित हो जाए और सहायता के लिए उपलब्ध हो 👍💯🙏🏻🥹 नमन है आपकी लेखनी को ✨✨✨✨✨ खूब तरक्की करे,यशस्वी हो और यूंही लिखते रहिए ✨✨✨✨✨✨✨
  • author
    02 फ़रवरी 2023
    कहानी को हमनें दो बार repeat किया,,,, सच में आज़ की वास्तविक सच्चाई भी है कि इंसानियत बहुत कम लोग ही समझते हैं.... अगर कहीं एक्सीडेंट भी हो जाय तो वह इंसान चाहे कितना भी दर्द से छटपटा रहा हो लेक़िन कोई मदद करने नहीं आता.... बड़ी मुश्किल से ऐसे कम लोग मिलतें हैं जो मदद के लिए आतें हैं। वैसे आपका किरदार वास्तविक में बहुत ही ईमानदार और भावनाओं, किसी पीड़ा को समझने वाला था जैसे कि रामू को मदद के लिए कोई नहीं था सब छुआ - छूत वाले लोग थे....अज़ीब हैं ये लोग जो मुसीबत के वक्त साथ नहीं देतें लेक़िन आपके निःस्वार्थ मदद ने उसे एक जीवन दिया भले ही कुछ समय के लिए ही सही। इसलिए कहा जाता है जो इंसान किसी मजबूर या ज़रूरतमंद की निःस्वार्थ मदद करता है तो वो ईश्वर भी उस इंसान की मदद के लिए हमेशा खड़े होतें हैं। और गरीब लोग भी हम सब की तरह वे भी एक इंसान ही हैं बस,,,, फर्क इतना है कि वो धन से अमीर भले न हों.... लेक़िन दिल ❤️से, और दुआओं से वे लाख गुना अमीर होतें हैं। बहुत बहुत बहुत ही प्रेरक और सराहनीय story लिखा है आपने 🌟💐🌟💐🌟💐🌟💐🌟💐🌟💐🌟✍️✍️
  • author
    Yamini Chauhan
    02 फ़रवरी 2023
    दिल को छूती कहानी आपकी। सही बात है लोगों में इंसानियत नहीं रही। मुसीबत में भी जाता पात देखते हैं। पढ़ लिख कर भी इंसान नहीं बने। इंसान की जान की कीमत इन लोगों की नजर में कुछ भी नहीं है। बहुत अच्छा लिखा आपने। काम से वो छोटा निकला पर दिल से वो अमीरों से अमीर। 👌👌👌👌👌👌🙏💐💐💐🌟☀️☀️🌻☀️🌟🌻☀️