मुहब्बत थी! कच्ची हो के पक्की भूल कैसे जाते!
मुष्कुराता हूं आज भी जब रूबरू होता हूं अपनी लिखी डायरी के उन पीले पन्नों में रखी उन तस्वीरों से, जो उस वक़्त को दर्शाते हैं!
और सीखते हैं कि दिल की ...
सब अपने अपने दिल के राजा,
सबकी अपनी अपनी रानी है है,
कभी न प्रकाशित होने वाली
सबकी एक कहानी है।
आपकी और मेरी स्कूली दिनों की कहानी काफी मिलती जुलती है, बस उस झन्नाटेदार थप्पड़ के डर से कभी इजहार नही किया।
सुंदर शब्दो मे लिखा है आपने जो सीधे उन दिनों में लेकर जाते है।
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सबकी अपनी अपनी रानी है है,
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आपकी और मेरी स्कूली दिनों की कहानी काफी मिलती जुलती है, बस उस झन्नाटेदार थप्पड़ के डर से कभी इजहार नही किया।
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