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कबूतर की पीड़ा

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4.6

एक कबूतरी एक कबूतर, बैठे नीम की डाल पर। प्रेम से दोनों बतियाते हैं, झूल रहे हैं डाल पर॥ गुटर गूं गुटर गूं करके, कबूतरी ने छेड़ी बात। क्यों इतनी गर्मी है प्यारे, क्यों नहीं आती है बरषात? पहले तो इस पेड़ ...