बचपन से ही मुझे काबुली वाला नामक कहानी पसंद है यह मेरी पष्ठपुस्तक में शामिल था कक्षा तो याद नहीं है लेकिन आज बहुत दिनों बाद पढ़ कर अपना पुराना घर , विद्यालय, शिक्षक, सहपाठी सब को याद कर रहा हूं । धन्यवाद प्रतिलिपि
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इस कहानी की समीक्षा में कुछ शब्द लिखना हमारे बस की बात तो नहीं है। लेकिन फिर भी यह कहानी बड़ी संवेदनशील है। जितनी बार भी इस कहानी को पढ़ा है, हर बार अंदर से कुछ टूटता हुआ सा प्रतीत हुआ है।
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