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काबुलीवाला(रविंद्रनाथ ठाकुर )

4.7
876

काबुलीवाला(रविंद्रनाथ ठाकुर )

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लेखक के बारे में
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फैज़

ज़िन्दगी की हक़ीक़त बस इतनी सी हैं, की इंसान पल भर में याद बन जाता हैं.... [email protected]

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Vikramaditya Kumar Watsalya
    03 अगस्त 2018
    mere bachpan me padhi gai Anmol kahaniyon me se ek...
  • author
    Ashutosh Mishra
    29 सितम्बर 2018
    बचपन से ही मुझे काबुली वाला नामक कहानी पसंद है यह मेरी पष्ठपुस्तक में शामिल था कक्षा तो याद नहीं है लेकिन आज बहुत दिनों बाद पढ़ कर अपना पुराना घर , विद्यालय, शिक्षक, सहपाठी सब को याद कर रहा हूं । धन्यवाद प्रतिलिपि
  • author
    सत्यदेव गहलोत
    30 दिसम्बर 2019
    इस कहानी की समीक्षा में कुछ शब्द लिखना हमारे बस की बात तो नहीं है। लेकिन फिर भी यह कहानी बड़ी संवेदनशील है। जितनी बार भी इस कहानी को पढ़ा है, हर बार अंदर से कुछ टूटता हुआ सा प्रतीत हुआ है।
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    Vikramaditya Kumar Watsalya
    03 अगस्त 2018
    mere bachpan me padhi gai Anmol kahaniyon me se ek...
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    Ashutosh Mishra
    29 सितम्बर 2018
    बचपन से ही मुझे काबुली वाला नामक कहानी पसंद है यह मेरी पष्ठपुस्तक में शामिल था कक्षा तो याद नहीं है लेकिन आज बहुत दिनों बाद पढ़ कर अपना पुराना घर , विद्यालय, शिक्षक, सहपाठी सब को याद कर रहा हूं । धन्यवाद प्रतिलिपि
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    सत्यदेव गहलोत
    30 दिसम्बर 2019
    इस कहानी की समीक्षा में कुछ शब्द लिखना हमारे बस की बात तो नहीं है। लेकिन फिर भी यह कहानी बड़ी संवेदनशील है। जितनी बार भी इस कहानी को पढ़ा है, हर बार अंदर से कुछ टूटता हुआ सा प्रतीत हुआ है।