pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

काश!

4.0
979

काश! तुम समझ पाते, मेरी आहें, मेरी कराहें। अगर तुम संवेदनशील होते, अनुभव करते, मेरे मन की घुटन, मेरा मूक रूदन अगर तुम सहृदय होते, महसूस करते, मेरा सम्मान, मेरा स्वाभिमान। अगर तुम मेरे नजदीक ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में

व्याख्याता राजनीति विज्ञान एम.एस.जे. काॅलेज, भरतपुर प्रकाशित पुस्तकें - 1. गांधी दर्शन: विविध आयाम 2. भारतीय वामपंथ और हिंदी उपन्यास 3. दो कविता संग्रह 4. ’121 लघुकथाएं‘ पुस्तक में 11 लघुकथाएं प्रकाशित। 5. 13 बाल पुस्तकें (कविता एंव कहानी संग्रह) 6. एक कहानी संग्रह

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    शुभम पंथ
    26 दिसम्बर 2018
    मन के उद्गारों की सफल अभिव्यक्ति
  • author
    Satyendra Kumar Upadhyay
    22 अक्टूबर 2015
    सुन्दर  व सारयुक्त ।
  • author
    Prabha Mishra
    11 जून 2020
    अत्यंत सुंदर रचना
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    शुभम पंथ
    26 दिसम्बर 2018
    मन के उद्गारों की सफल अभिव्यक्ति
  • author
    Satyendra Kumar Upadhyay
    22 अक्टूबर 2015
    सुन्दर  व सारयुक्त ।
  • author
    Prabha Mishra
    11 जून 2020
    अत्यंत सुंदर रचना