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चिंदी चिंदी सुख थान बराबर दुःख

4.8
40391

इवनिंग वाक से लौट कर अभी गेट खोल ही रही थी कि फोन की घंटी बजने लगी |स्क्रीन पर अनजान नंबर चमक रहा था सोचा अभी चेंज कर के ही फोन रिसीव करुँगी |नंबर सेव नहीं था तो लगा होगा कोई बैंक लोनिंग या ...

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लेखक के बारे में

जन्म 31 मई प्रतापगढ़ में निवास लखनऊ रूचि -कवितायेँ एव कहानियां लिखना - कथादेश , निकट ,जनसत्ता , चौथी दुनिया और कई पत्र पत्रिकाओं में कवितायेँ एवं कहानियां प्रकाशित हुई सामाजिक कार्यों में योगदान अपनी संस्था स्वयंसिद्धा द्वारा

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    कोमल राजपूत
    08 ஜனவரி 2019
    बहुत खूब। अविस्मरणीय रचना। नायिका का बेहतरीन और सशक्त किरदार एक कभी न हारने वाली प्रेरणा देता है। मेरे लिए यह कहानी ऐसी है जिसे मैं कभी नहीं भूल पाऊँगी।
  • author
    Kumud Rai
    03 மே 2018
    अद्भुत कहानी बहुत ज्यादा संतोषजनक है लेकिन मुख्य बात शायद ये हुई की एक औरत का अपने पैरों पर खड़ा होना कितना जरुरी है।
  • author
    Madhvi Bharwe
    29 அக்டோபர் 2018
    वाह बहुत ही अच्छी कहानी हैं,पढकर ऐसा लगा जैसे किसी महिला का वास्तविक जीवन का अनुभव हैं,और असल जीवन में भी कई बार ऐसा होता है किसी किसी महिला के साथ ,जितनी भी प्रशंसा की जाये कहानी की कम ही है।
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    कोमल राजपूत
    08 ஜனவரி 2019
    बहुत खूब। अविस्मरणीय रचना। नायिका का बेहतरीन और सशक्त किरदार एक कभी न हारने वाली प्रेरणा देता है। मेरे लिए यह कहानी ऐसी है जिसे मैं कभी नहीं भूल पाऊँगी।
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    Kumud Rai
    03 மே 2018
    अद्भुत कहानी बहुत ज्यादा संतोषजनक है लेकिन मुख्य बात शायद ये हुई की एक औरत का अपने पैरों पर खड़ा होना कितना जरुरी है।
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    Madhvi Bharwe
    29 அக்டோபர் 2018
    वाह बहुत ही अच्छी कहानी हैं,पढकर ऐसा लगा जैसे किसी महिला का वास्तविक जीवन का अनुभव हैं,और असल जीवन में भी कई बार ऐसा होता है किसी किसी महिला के साथ ,जितनी भी प्रशंसा की जाये कहानी की कम ही है।