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जुमले थे जुमले

3.7
863

' सर... सर... अनर्थ हो गया |' मंत्रीजी के व्यक्तिगत सहायक ने हॉफते - हॉफते मंत्रीजी से कहा | मंत्री-' ऐसा क्या आसमान फट गया कि हॉफते-भागते सीधे मेरे बैडरूम में घुसे चले आये |' व्यक्तिगत सहायक -' ...

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लेखक के बारे में
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Mukesh Kumar Rishiverma

जीवन परिचय ------------------ नाम - मुकेश कुमार “ऋषि वर्मा” जन्म - 05/08/1993 पिता - श्री पूरन सिंह जी माता - श्रीमती रामा देवी उर्फ अंगूरी देवी जी पत्नी - श्रीमती रीना देवी बच्चे - खुशबू, आर्यन, विवेक शिक्षा - एम. ए. (समाज शास्त्र), डी. सी. ए. (कम्प्यूटर), आर्य भूषण एवं आर्य रत्न, एफ. एच. आर. (मानवाधिकार), संस्कृत प्रवेश (संस्कृत भाषा) आई. जी. डी. बॉम्बे, असिस्टेंट इलैक्ट्रिशियन (प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना अंतर्गत), बेसिक बाइबल कोर्स एवं अन्य 3 प्रमाणपत्रीय कोर्स । विधा - गद्य, पद्य । भाषा - हिंदी, बृजभाषा व अंग्रेजी - उर्दू - संस्कृत (आंशिक तौर पर) प्रकाशन - आजादी को खोना ना, संघर्ष पथ, काव्य दीप (काव्य पुस्तिकाएं) व हजारों रचनाएं राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पत्र- पत्रिकाओं, संकलनों, इंटरनेट में प्रकाशित, कई पुस्तकों के मुख्यपृष्ठ पत्र-पत्रिकाओं व संकलनों में चित्र प्रकाशित | कई न्यूज पेपरों में पत्रकारिता व स्वतंत्र पत्रकारिता |) संपादन :- प्रधान संपादक - युवा धड़कन, संपादक :- कालेश्वर ज्योति, कालिका दर्शन, अतिथि संपादक :- भिवानी न्यूज (कोरोना विशेषांक - मई 2020), बोहल शोध मंजूषा (अंक- अगस्त-2021) अप्रकाशित - करीब 40 पाण्डुलिपियां गद्य-पद्य में । सम्मान - 250 से अधिक सम्मान पत्र - प्रशस्ति पत्र प्राप्त । रुचियां - अभिनय, पत्रकारिता, चित्रकारी, लेखन, फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी | (कई फिल्मों, लघुफिल्मों, अलबमों में अभिनय | विशेष - कई स्वलिखित लघुकथाओं पर शॉर्ट फिल्मों का निर्माण । सदस्य - साहित्यिक, सामाजिक, धार्मिक, राजनैतिक संगठनों में सदस्य व पदाधिकारी (अवैतनिक) संचालक - ऋषि वैदिक साहित्य पुस्तकालय अध्यक्ष - बृजलोक साहित्य-कला-संस्कृति अकादमी आजीविका - कृषि एवं मजदूरी.... सोशल मीडिया : - फेसबुक - Mukesh Kumar Rishiverma, यूट्यूब चैनल - Kaleshwar Films, ब्लाॅग - ऋषि की दुनिया, ईमेल : - [email protected] संपर्क : - मुकेश कुमार “ऋषि वर्मा” ग्राम रिहावली, डाक तारौली गुर्जर, फतेहाबाद, आगरा (उ. प्र. ) 283111, मो. 9627912535, 9456994678

समीक्षा
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  • author
    sanjay juyal
    20 मार्च 2018
    बे सर पैर की कलम घिसाई से ज्यादा नहीं
  • author
    Alka Mohan Lal
    25 मई 2020
    yahi sachchai h aaj ki. jo dekhne ko bhi mil rhi h lekin afsos insaan dekh kr bhi dekhna nhi chahta.
  • author
    Rajjo Rani
    08 नवम्बर 2020
    सही है। बहुत पीड़ा होती हैं नेताओं के झूठे आश्वासन से।
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    sanjay juyal
    20 मार्च 2018
    बे सर पैर की कलम घिसाई से ज्यादा नहीं
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    Alka Mohan Lal
    25 मई 2020
    yahi sachchai h aaj ki. jo dekhne ko bhi mil rhi h lekin afsos insaan dekh kr bhi dekhna nhi chahta.
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    Rajjo Rani
    08 नवम्बर 2020
    सही है। बहुत पीड़ा होती हैं नेताओं के झूठे आश्वासन से।