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जूठन

4.4
345

आज ओम प्रकाश वाल्मीकि जी की आत्मकथा जूठन पढी़  पढ़ करके ऐसा लगा कि मनुष्य की पहचान उसके चरित्र से नहीं बल्कि जाति से है।   वे कहते हैं "भारतीय समाज में जाति एक महत्वपूर्ण घटक है जाति पैदा होते ही ...

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समीक्षा
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  • author
    kanhaiya khatri (. K. K .)
    26 मार्च 2020
    बहुत बढ़िया।
  • author
    harit virsingh
    17 जुलाई 2020
    वर्तमान परिपेक्ष्य में सच्चाई को उजागर करती ओमप्रकाश "वाल्मीकि"जी की रचना "जूठन" है।💐🙏
  • author
    धनु दयाल "Dhanu"
    07 अगस्त 2022
    यह पुस्तक मैंने भी पढ़ी है समाज की सच्चाई बयां करती। शत् शत् नमन वाल्मीकि जी को
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    kanhaiya khatri (. K. K .)
    26 मार्च 2020
    बहुत बढ़िया।
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    harit virsingh
    17 जुलाई 2020
    वर्तमान परिपेक्ष्य में सच्चाई को उजागर करती ओमप्रकाश "वाल्मीकि"जी की रचना "जूठन" है।💐🙏
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    धनु दयाल "Dhanu"
    07 अगस्त 2022
    यह पुस्तक मैंने भी पढ़ी है समाज की सच्चाई बयां करती। शत् शत् नमन वाल्मीकि जी को