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जो यूं ही लहज़ा - लहज़ा दाग़ - ए - हसरत की तरक़्क़ी है

4.2
2485

जो यूं ही लहज़ा-लहज़ा दाग़-ए-हसरत की तरक़्क़ी है अजब क्या, रफ्ता-रफ्ता मैं सरापा सूरत-ए-दिल हूँ मदद-ऐ-रहनुमा-ए-गुमरहां इस दश्त-ए-गु़र्बत में मुसाफ़िर हूँ, परीशाँ हाल हूँ, गु़मकर्दा मंज़िल हूँ ये मेरे ...

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लेखक के बारे में

मूल नाम : अकबर हुस्सैन रिज़वी उपनाम : अकबर अलाहाबादी जन्म : 16 नवंबर 1846 देहावसान: 15 फरवरी 1921 भाषा : उर्दू विधाएँ : ग़ज़ल, शायरी अकबर अलाहाबादी उर्दू व्यंग्य के अग्रणी रचनाकारों में से एक हैं, इनके काफी शेरों एवम ग़ज़लों में सामाजिक दर्द को सरल भाषा में हास्यपूर्क ढंग से उकेरा गया है। "हंगामा है क्यूं बरपा" इनकी मशहूर ग़ज़लों में से एक है

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    CHANDRA BHUSHAN RAI
    15 ఏప్రిల్ 2019
    antrmn Ko hila dene Vali story
  • author
    SHAHNWAZ CHAUDHARY
    13 మార్చి 2019
    अच्छा लगा
  • author
    Rukhsana Hakeem
    12 జనవరి 2023
    अदभुत
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    CHANDRA BHUSHAN RAI
    15 ఏప్రిల్ 2019
    antrmn Ko hila dene Vali story
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    SHAHNWAZ CHAUDHARY
    13 మార్చి 2019
    अच्छा लगा
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    Rukhsana Hakeem
    12 జనవరి 2023
    अदभुत