pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

जो तुम्हारे लब - ए - जाँ - बख़्श

4.3
1887

जो तुम्हारे लब-ए-जाँ-बख़्श का शैदा होगा उठ भी जाएगा जहाँ से तो मसीहा होगा वो तो मूसा हुआ जो तालिब-ए-दीदार हुआ फिर वो क्या होगा कि जिस ने तुम्हें देखा होगा क़ैस का ज़िक्र मेरे शान-ए-जुनूँ के आगे अगले ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में

मूल नाम : अकबर हुस्सैन रिज़वी उपनाम : अकबर अलाहाबादी जन्म : 16 नवंबर 1846 देहावसान: 15 फरवरी 1921 भाषा : उर्दू विधाएँ : ग़ज़ल, शायरी अकबर अलाहाबादी उर्दू व्यंग्य के अग्रणी रचनाकारों में से एक हैं, इनके काफी शेरों एवम ग़ज़लों में सामाजिक दर्द को सरल भाषा में हास्यपूर्क ढंग से उकेरा गया है। "हंगामा है क्यूं बरपा" इनकी मशहूर ग़ज़लों में से एक है

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Deepa
    21 ఏప్రిల్ 2017
    Like it
  • author
    ranjit rathor
    29 ఏప్రిల్ 2023
    umda rachna
  • author
    Sprunt Architect
    16 ఏప్రిల్ 2020
    bahut badhiya
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Deepa
    21 ఏప్రిల్ 2017
    Like it
  • author
    ranjit rathor
    29 ఏప్రిల్ 2023
    umda rachna
  • author
    Sprunt Architect
    16 ఏప్రిల్ 2020
    bahut badhiya