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जिस्म और रूह की बातचीत

4.5
824

इक रूह ने जाते हुए ये जिस्म से कहा, ले देख ले अब तेरी क्या औक़ात रह गई...! सारी दौलात सारी शोहरत सब पीछे छूट गयी.. तेरी काया भी ना तेरे साथ रह गयी तेरा नाम बीते जामाने की एक बात हो गयी.. जो तेरे ...

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लेखक के बारे में
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आकाश गुप्ता

ना जाने कितनी अनकही बाते है जिनपे कोई गौर ना कर सका... लोग झूठे गुरूर में जीते रहे ओर कोई तोड ना सका..

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    PANKAJ KUMAR SRIVASTAVA
    01 अप्रैल 2020
    बेहतरीन।मेरी रचनाये भी पढे व अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करे ।
  • author
    Devendra Kumar Mishra
    27 जुलाई 2021
    जहां से शुरू वही पर खत्म। रक अच्छी सोच।
  • author
    Rittika Saxena "Chintu"
    24 जुलाई 2018
    a true fact and a very nice poem
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  • author
    PANKAJ KUMAR SRIVASTAVA
    01 अप्रैल 2020
    बेहतरीन।मेरी रचनाये भी पढे व अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करे ।
  • author
    Devendra Kumar Mishra
    27 जुलाई 2021
    जहां से शुरू वही पर खत्म। रक अच्छी सोच।
  • author
    Rittika Saxena "Chintu"
    24 जुलाई 2018
    a true fact and a very nice poem