जिस सर को ग़रूर आज है याँ ताजवरी का
कल जिस पे यहीं शोर है फिर नौहागरी का आफ़ाक़ की मंज़िल से गया कौन सलामात
असबाब लुटा राह में याँ हर सफ़री का ज़िन्दाँ में भी शोरिशन गयी अपने जुनूँ की
अब संग मदावा है ...
मूल नाम : मिर्ज़ा असदउल्ला बेग़ ख़ान ग़ालिब
जन्म : 27 दिसंबर 1796, आगरा (उत्तर प्रदेश)
भाषा : उर्दू, फ़ारसी
विधाएँ : गद्य, पद्य
निधन - 15 फरवरी 1869, दिल्ली
सारांश
मूल नाम : मिर्ज़ा असदउल्ला बेग़ ख़ान ग़ालिब
जन्म : 27 दिसंबर 1796, आगरा (उत्तर प्रदेश)
भाषा : उर्दू, फ़ारसी
विधाएँ : गद्य, पद्य
निधन - 15 फरवरी 1869, दिल्ली
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