सुकून की तलाश में भटकता प्राणी,, रोजी रोटी कमाने की खातिर,,, जिंदगी की जंग में जूझता प्राणी,,,, अहंकार प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए,,, मर्यादाओं में रहकर जंग लग रहा प्राणी,,, एक दूसरे को नीचा ...
बहुत ही सुन्दर बात कही है आरती जी,,,,,
एक दूसरे को नीचा
दिखाने के लिए प्रयास कर रहा प्राणी
वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह क्या खूब लिखा हुआ है दिल को छू लेने वाली रचना लिखी हुई है आरती जी 🌄🌄💐🌹👌👌👌👌👌👌🌹🌹💐💐
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