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\" जिन्दा लाश \"\" नाला नाला जिन्दगी \"

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" जिन्दा लाश " " जिन्दा लाश कभी देखी आपने...???" उसने सामने बैठे बन्दे से सवाल किया... " जिन्दा लाश...क्या बक रहे हो बे.??? ..लगता आज ज्यादा चढ़ गयी तुमको..." " अरे नहीं यार आज बिल्कुल नहीं चढ़ी ...

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लेखक के बारे में

नाम :- नेहा अग्रवाल नेह जन्म :- 19 अप्रैल शिक्षा :- एम .एस.सी ( रसायनशास्त्र ) लेखन विधा :- लघुकथा ,कहानी ,कविता,व्यंग्य,पत्र,लेख दैनिक भास्कर मधुरिमा , दैनिक जागरण , साहित्य अमृत, मृगमरीचिका, साधव्यूज, साहित्य सरोज ,परतों की पड़ताल , लोकजंग ,दैनिक अकुंर , नवप्रदेश ,अट्टहास , दैनिक मैट्रो ,साफ्ताहिक अकोदिया सम्राट ,प्रतिलिपि ,योर कोट्स ,मातृ भारती ,स्टोरी मिरर, हिन्दी रचना संसार , हैक जिन्दगी , साहित्यपीडिया , किस्सा कृति , सत्य की मशाल ,आगमन ,गृहलक्ष्मी , पर रचनाएं प्रकाशित प्रकाशित कृतियाँँ :- बूँद - बूँद सागर ( लघुकथा संग्रह ) , फलक ( लघुकथा संग्रह ),अपने अपने क्षितिज ( लघुकथा संग्रह ),काव्य सुरभि ( काव्य संग्रह ) सम्पादित कृति :- स्वप्नगंधा काव्य संग्रह फोन :- 9410405901 ईमेल:- [email protected]

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Dhanpati Singh
    24 जुलाई 2020
    मानवीय भावनाओं, मजबूरियों और धूर्तता का सटीक चित्रण। समाज का बदलाव क्या स्वप्न ही रह जाएगा? मानवता के जागरण का कब तक इंतज़ार ? आशा का दामन थामे,जागरण का प्रयास साहित्य के माध्यम से जारी रखें। उत्कृष्ट कहानी और पुरस्कार हेतु कोटि-कोटि बधाई
  • author
    Geeta (Garima) Pandey
    26 मार्च 2021
    👏👏👏👏👏👌👌👌👌👌किन शब्दों में आपके लेखन की तारीफ करूं, समझ नहीं आ रहा। एक तरफ जिंदगी का बेहद मार्मिक चित्रण और दूसरी तरफ समाज का बदरंग, दोनों ही बहुत बढ़िया तरह दिखाए हैं आपने। जी करता है, इस कहानी को आगे बढ़ाते हुए कुछ मैं भी लिखूं। आपकी परमिशन मिली तो अवश्य लिखना चाहूंगी।🙏🙏🌹🌹
  • author
    Subhash Kumar
    14 जुलाई 2022
    जब पढ़ना शुरू किया....खुशी नहीं हुई। मन में भाव उठे.....वही घिसी पिटी विषय पर आधारित.... कहानी में जब दुआ की एंट्री हुई.... सस्पेंस बढ़ता गया। सबकुछ भूल कर पढ़ता गया। अहा!!! और अंत दुखद !!! शायद ही भूल पाऊं!!! सबसे ज्यादा लाजवाब लगा शीर्षक !! जिंदा लाश!! मगर कौन? गंदे नाले में उतरने वाला जुगनू या साफ स्वच्छ गद्दी पर बैठने वाला जौहरी??? प्रश्न का क्या है....उठती ही रहती है। जवाब कौन देगा.....हमारी अंतरात्मा के सिवा?🌷🌷🙏
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    Dhanpati Singh
    24 जुलाई 2020
    मानवीय भावनाओं, मजबूरियों और धूर्तता का सटीक चित्रण। समाज का बदलाव क्या स्वप्न ही रह जाएगा? मानवता के जागरण का कब तक इंतज़ार ? आशा का दामन थामे,जागरण का प्रयास साहित्य के माध्यम से जारी रखें। उत्कृष्ट कहानी और पुरस्कार हेतु कोटि-कोटि बधाई
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    Geeta (Garima) Pandey
    26 मार्च 2021
    👏👏👏👏👏👌👌👌👌👌किन शब्दों में आपके लेखन की तारीफ करूं, समझ नहीं आ रहा। एक तरफ जिंदगी का बेहद मार्मिक चित्रण और दूसरी तरफ समाज का बदरंग, दोनों ही बहुत बढ़िया तरह दिखाए हैं आपने। जी करता है, इस कहानी को आगे बढ़ाते हुए कुछ मैं भी लिखूं। आपकी परमिशन मिली तो अवश्य लिखना चाहूंगी।🙏🙏🌹🌹
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    Subhash Kumar
    14 जुलाई 2022
    जब पढ़ना शुरू किया....खुशी नहीं हुई। मन में भाव उठे.....वही घिसी पिटी विषय पर आधारित.... कहानी में जब दुआ की एंट्री हुई.... सस्पेंस बढ़ता गया। सबकुछ भूल कर पढ़ता गया। अहा!!! और अंत दुखद !!! शायद ही भूल पाऊं!!! सबसे ज्यादा लाजवाब लगा शीर्षक !! जिंदा लाश!! मगर कौन? गंदे नाले में उतरने वाला जुगनू या साफ स्वच्छ गद्दी पर बैठने वाला जौहरी??? प्रश्न का क्या है....उठती ही रहती है। जवाब कौन देगा.....हमारी अंतरात्मा के सिवा?🌷🌷🙏