# स्कूल की यादें सुबह-सुबह आज जब मैं वोट डालने के लिए अपने वार्ड के मतदान बूथ पर गई तो यादों के तार मेरे मन के अन्दर विद्युत की गति से झनझना उठे। मेरे अन्दर अपने स्कूली दिनों की यादों के झटके एक ...
यादों के गलियारे में चहलकदमी , खुद के निशान ढूंढती नजर ।ना हम गुज़रे वक़्त में जा सकते हैं ना वक्त लौट कर आ सकता है । पाठक भी कहानी पढ़ते पढ़ते अतीत की यादों में खो जाता है । ये खासियत है इस कथा की।
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