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जिजीविषा.......

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जिजीविषा। ( जीने की इच्छा ) कल - रात भर मूसलाधार बारिश  हुई, सुबह थोड़ी थमी तो कौओं की अस्वाभाविक आक्रामक  ध्वनि ने अनायास  ही भैया को छत पर जाने को मजबूर किया | उनके जाते ही कौए की सेना तितर-वितर ...

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लेखक के बारे में
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भारती करपटने

विज्ञान शिक्षिका हूँ, मगर साहित्य मेरी पहली पसंद। विज्ञान में भी साहित्य ढूढ़ने की कोशिश जारी है। एक भूख सी है उत्तकृष्ट रचनाओं को पढ़ने की। पहले इस मंच की एक पाठक थी , आज मेरी कुछ लघु कथाएं, कवितायें प्रकाशित हुई हैं, अपने अनमोल विचारों से मुझे अवगत कराते रहें ताकि मैं अपने आप को परिमार्जित कर सकूं।

समीक्षा
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  • author
    Hemalata Godbole
    17 जानेवारी 2022
    बहुत सुंदर, मेरीबेटी ने भी नाती के हठ के कारण सुंदर सेदो पक्षी लाए थे और पिंजरे मे रखे कुछ दिनबाद आदत हो ग ई इतनी कि नाती उससे बात करता, और किसी कारण बेटी अपने बेटे को डांटती तो वो दोनो ही पिंजरे मे उछलते और चिल्लाते। बेटी के चुप होने पर ही वो चुप होते। खाना भी नखरे से खाते।कुछ दिन बाद मादा ने अंडा दिया बच्चा निकला पर मादा मर गई तो नाती बहुत रोया।।एसे संबंध भी समझने लगे। पर कुछ दिनबाद पिंंजरा सफाई के लिये खोला तो बिल्ली ने शिकार कर लिया ।आज भी मुझे आंसू आ ते है। तय किया कि पंछी नहीं पालेंगे। 😙😗🙏🙏✍️✍️
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    Preetima Bhadouria
    21 जानेवारी 2022
    "जिजीविषा"... बेहतरीन प्रस्तुति... आपका पक्षी प्रेमी दिल है। सही हूँ ना मैं? "कृतज्ञता" आपके द्वारा लिखित एक और रचना में गौरैया थी। जिजीविषा में तोता है। जीने की चाह हम सभी मे होती है, वही चाह जीवन मे आये संघर्षो से हमे जीत दिला पाती है, ऐसे ही उदार, प्रेरक भावों को आपने अपनी रचना में प्रस्तुत किया है। आपका लेखन हमेशा ही आकर्षित करता है। अनुपम भाषा शैली में अभिव्यक्त अनुपम प्रस्तुति....
  • author
    ज़िन्दगी सरिता
    08 ऑक्टोबर 2020
    बहुत ही सुन्दर लिखा आपने भारती जी मनुष्य में यह संवेदना होना अति आवश्यक है और यह सवेंदना ना सिर्फ जीव जन्तु,पशु पक्षी के प्रति अपितु प्रकृति के प्रति भी होनी ही चाहिए प्रकृति का ख्याल रख लेंगे हम तो इन सभी जीवों का ख्याल तो स्वत: ही हो जाएगा। यदि मै गलत नहीं हूं तो?🙏 बहुत ही प्रेरक लिखा आपने🙏
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    Hemalata Godbole
    17 जानेवारी 2022
    बहुत सुंदर, मेरीबेटी ने भी नाती के हठ के कारण सुंदर सेदो पक्षी लाए थे और पिंजरे मे रखे कुछ दिनबाद आदत हो ग ई इतनी कि नाती उससे बात करता, और किसी कारण बेटी अपने बेटे को डांटती तो वो दोनो ही पिंजरे मे उछलते और चिल्लाते। बेटी के चुप होने पर ही वो चुप होते। खाना भी नखरे से खाते।कुछ दिन बाद मादा ने अंडा दिया बच्चा निकला पर मादा मर गई तो नाती बहुत रोया।।एसे संबंध भी समझने लगे। पर कुछ दिनबाद पिंंजरा सफाई के लिये खोला तो बिल्ली ने शिकार कर लिया ।आज भी मुझे आंसू आ ते है। तय किया कि पंछी नहीं पालेंगे। 😙😗🙏🙏✍️✍️
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    Preetima Bhadouria
    21 जानेवारी 2022
    "जिजीविषा"... बेहतरीन प्रस्तुति... आपका पक्षी प्रेमी दिल है। सही हूँ ना मैं? "कृतज्ञता" आपके द्वारा लिखित एक और रचना में गौरैया थी। जिजीविषा में तोता है। जीने की चाह हम सभी मे होती है, वही चाह जीवन मे आये संघर्षो से हमे जीत दिला पाती है, ऐसे ही उदार, प्रेरक भावों को आपने अपनी रचना में प्रस्तुत किया है। आपका लेखन हमेशा ही आकर्षित करता है। अनुपम भाषा शैली में अभिव्यक्त अनुपम प्रस्तुति....
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    ज़िन्दगी सरिता
    08 ऑक्टोबर 2020
    बहुत ही सुन्दर लिखा आपने भारती जी मनुष्य में यह संवेदना होना अति आवश्यक है और यह सवेंदना ना सिर्फ जीव जन्तु,पशु पक्षी के प्रति अपितु प्रकृति के प्रति भी होनी ही चाहिए प्रकृति का ख्याल रख लेंगे हम तो इन सभी जीवों का ख्याल तो स्वत: ही हो जाएगा। यदि मै गलत नहीं हूं तो?🙏 बहुत ही प्रेरक लिखा आपने🙏