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ज़िहाल-ए मिस्कीं मकुन तगाफ़ुल

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636

ज़िहाल-ए मिस्कीं मकुन तगाफ़ुल, दुराये नैना बनाये बतियां। कि ताब-ए-हिजरां नदारम ऎ जान, न लेहो काहे लगाये छतियां॥ शबां-ए-हिजरां दरज़ चूं ज़ुल्फ़ वा रोज़-ए-वस्लत चो उम्र कोताह, सखि पिया को जो मैं न ...

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लेखक के बारे में
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अमीर ख़ुसरौ

मूल नाम : अबुल हसन यमीनुद्दीन ख़ुसरौ उपनाम : अमीर खुसरो देहलवी, अमीर खुसरो जन्म : 1253 देहावसान: 1325 भाषा : पर्सियन, उर्दू, हिन्दवी, खड़ी बोली विधाएँ : ग़ज़ल, कव्वाली, मसनवी, रुबाई आदि अबुल हसन यमीनुद्दीन ख़ुसरौ जो कि अपने उपनाम अमीर खुसरो देहलवी से विख्यात हैं, खड़ी बोली हिन्दी के सर्व-प्रथम रचनाकारों में से एक हैं, इन्हे कव्वाली का जनक माना जाता है। इन्हे संगीत की तराना एवम खयाल विधाओं का भी जनक माना जाता है, साथ ही इन्हे अक्सर तबला एवम सितार के अविष्कार का भी श्रेय दिया जाता है. अमीर खुसरो ने भारतीय साहित्य, संगीत एवम भाषा के क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इनकी मुकरियाँ, पहेलियाँ और दुसुख़ने भी उतने ही लोकप्रिया हैं जितनी इनकी ग़ज़लें.

समीक्षा
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  • author
    Sandhya Rani
    10 अक्टूबर 2021
    वाह क्या कहना
  • author
    Manjit Singh
    18 अक्टूबर 2020
    बहुत लाजवाब दोहे
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    Sandhya Rani
    10 अक्टूबर 2021
    वाह क्या कहना
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    Manjit Singh
    18 अक्टूबर 2020
    बहुत लाजवाब दोहे