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जी लूँ तुम्हारे अहसास संग

4.6
42385

"क्या है कबीर ? अब आपको क्या हुआ । मान भी जाओ ना, अच्छा सुनो चलो आज हम कहीं घूम कर आते हैं । कोई अच्छी सी फिल्म देखेंगे और खाना बाहर ही खाऐंगे वो भी आपकी फेब डिश । हाँ जानती हूँ आपको मेरे और माँ ...

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लेखक के बारे में
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धीरज झा

नाम धीरज झा, काम - स्वछंद लेखन (खास कर कहानियां लिखना), खुद की वो बुरी आदत जो सबसे अच्छी लगती है मुझे वो है चोरी करना, लोगों के अहसास को चुरा कर कहानी का रूप दे देना अच्छा लगता है मुझे....किसी का दुःख, किसी की ख़ुशी, अगर मेरी वजह से लोगों तक पहुँच जाये तो बुरा ही क्या है इसमें :) .....इसी आदत ने मुझसे एक कहानी संग्रह लिखवा दिया जिसका नाम है सीट नं 48.... जी ये वही सीट नं 48 कहानी है जिसने मुझे प्रतिलिपि पर पहचान दी... इसके तीन भाग प्रतिलिपि पर हैं और चौथा और अंतिम भाग मेरे द्वारा इसी शीर्षक के साथ लिखी गयी किताब में....आप सब की वजह से हूँ इसीलिए कोशिश करूँगा कि आप सबका साथ हमेशा बना रहे... फेसबुक पर जुड़ें :- https://www.facebook.com/profile.php?id=100030711603945

समीक्षा
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  • author
    मनीषा
    12 ଅପ୍ରେଲ 2017
    Heart touching story .....
  • author
    Vikas
    03 ଅପ୍ରେଲ 2017
    ऐसी कहानी पहली बार पढी . जिसने पूरे असति्व को हिला कर रख दिया. इतना तो मोपासा वा शरतचन्रद ने भी पर्भावित नही किया.
  • author
    VISHESH MISHRA
    05 ନଭେମ୍ବର 2016
    the depth was unbeatable.. stoty writing is great but needs more polishing.. please keep writing 😊
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    मनीषा
    12 ଅପ୍ରେଲ 2017
    Heart touching story .....
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    Vikas
    03 ଅପ୍ରେଲ 2017
    ऐसी कहानी पहली बार पढी . जिसने पूरे असति्व को हिला कर रख दिया. इतना तो मोपासा वा शरतचन्रद ने भी पर्भावित नही किया.
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    VISHESH MISHRA
    05 ନଭେମ୍ବର 2016
    the depth was unbeatable.. stoty writing is great but needs more polishing.. please keep writing 😊