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झूठो का बादशाह

4.1
1649

आमजन पहले नेताओ को ही असत्य के ठेकेदार की श्रद्धा से देखते थे। इसका कारण था चुनाव मे किये वादो को नेताजी चुनाव जीतने के बाद ऐसे भूलते हैं जैसे एक्जाम हाल मे बैठा बच्चा पेपर देखते ही सारे जबाव भूल ...

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लेखक के बारे में
author
अरुण

Love you💞 जिंदगी..🤗

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    अजामिल व्यास
    26 मार्च 2017
    बहुत अच्छी रचना है परंतु मुझे लगता है कि इसे कुछ दिनों के बाद लेखक को एक बार फिर से इसे लिखना चाहिए ताकि इसमें शामिल हुई वैचारिक पुनरावृत्ति हटाई जा सके इसकी भाषा को भी और चुस्त दुरुस्त करने की जरूरत है इस तरह के तथ्य से व्यंग भाषा की चुटकी से ही रेखांकित होगा कंटेंट बहुत अच्छा है रचना को थोड़ा और संभाल दिया जाए तो यही एक और प्रभावशाली रचना बन सकती है गौड साहब को मेरी शुभकामनाएं प्रूफ की हंसी गलतियां हैं जो खटकती हैं
  • author
    .
    25 अक्टूबर 2020
    very nice 👌
  • author
    Sunil Kumar Kumar
    18 अगस्त 2017
    2
  • author
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  • author
    अजामिल व्यास
    26 मार्च 2017
    बहुत अच्छी रचना है परंतु मुझे लगता है कि इसे कुछ दिनों के बाद लेखक को एक बार फिर से इसे लिखना चाहिए ताकि इसमें शामिल हुई वैचारिक पुनरावृत्ति हटाई जा सके इसकी भाषा को भी और चुस्त दुरुस्त करने की जरूरत है इस तरह के तथ्य से व्यंग भाषा की चुटकी से ही रेखांकित होगा कंटेंट बहुत अच्छा है रचना को थोड़ा और संभाल दिया जाए तो यही एक और प्रभावशाली रचना बन सकती है गौड साहब को मेरी शुभकामनाएं प्रूफ की हंसी गलतियां हैं जो खटकती हैं
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    .
    25 अक्टूबर 2020
    very nice 👌
  • author
    Sunil Kumar Kumar
    18 अगस्त 2017
    2