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हिन्दी

झूला

4.5
10680

कुछ तीस साल बीत गये, शादी के बाद साल दर साल। अगर सब कुछ सफलता और विफलता के मामले में मापा जाता है, तो उनकी शादी एक विफल शादी थी। हालांकि वे एक साथ बने रहे, एक दूसरे के लिए बहुत कम महसूस करते थे, ...

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लेखक के बारे में

हरदीप सबरवाल पंजाबी यूनीवर्सिटी से सनातकोत्तर है, उनकी रचनाऐं विभिन्न ऑनलाइन और प्रिंट पत्रिकाओं में जैसे The Larcenist , Zaira Journal, The Writers Drawer, Quail Bells, NY Literary Magazine, Literary Yard, Alive, जनकृति इंटरनैशनल मैगजीन दिल्ली पत्रिका, और कुछ समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई है. २०१४ में उनकी कविता HIV Positive को Yoalfaaz best poetry competition में प्रथम स्थान मिला। 2015 में उनकी कविता The Third Desire इस प्रतियोगिता में द्वितीय आई। दिसम्बर 2015 में उनकी कविता The Refugee's Roots को The Writers Drawer International poetry contest में दूसरा स्थान मिला. हिन्दी में उनकी कविताओं पायट्री सोसाईटी आफ इडिंया के काव्य संग्रह अमलताश के शतदल (2015 की सर्वश्रेष्ठ कविताऐं) में प्रकाशित हुई , जून 2016 मे उनकी कहानी "The Swing" ने The Writers Drawer short story contest 2016 में तीसरा स्थान जीता . पायट्री सोसाईटी अाफ इंडिया के काव्य संग्रह 'ढाई आखर प्रेम' में भी उनकी कविताऐं प्रकाशित हुई. अमेरिका की The Circus of Indie Artist ( Anthology of poems and Short stories) में भी इनकी रचनाऐं प्रकाशित हुई.

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Ankita Dewan
    13 जून 2018
    बहुत ही प्यारी कहानी है. मेरी शादी को 10 साल हो chuke है lakin आज भी हम अजनबी की तरह ही है.. क्योकि हमारे विचार नहीं मिलते.. बस सामाजिक चलन mai शादी निभा रहे है..
  • author
    Indra Kilam
    01 सितम्बर 2018
    अत्यंत सार्थक कहानी।।न जाने कौन सा पल जीवन की जडता को तरलता मे बहा ले जाए
  • author
    Dr Anuradha
    30 सितम्बर 2018
    भारतीयता ! कुछ ऐसी ही अनकही और कुछ अनसुलझी सी सुलझी होती है
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    Ankita Dewan
    13 जून 2018
    बहुत ही प्यारी कहानी है. मेरी शादी को 10 साल हो chuke है lakin आज भी हम अजनबी की तरह ही है.. क्योकि हमारे विचार नहीं मिलते.. बस सामाजिक चलन mai शादी निभा रहे है..
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    Indra Kilam
    01 सितम्बर 2018
    अत्यंत सार्थक कहानी।।न जाने कौन सा पल जीवन की जडता को तरलता मे बहा ले जाए
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    Dr Anuradha
    30 सितम्बर 2018
    भारतीयता ! कुछ ऐसी ही अनकही और कुछ अनसुलझी सी सुलझी होती है