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जीवन संध्या

4.3
11802

हमारे मोहल्ले में एक बड़ा पार्क है | वहाँ चारों कोनों में क्यारियों में हरियाली और कुछ सुन्दर फूल खिले रहते हैं | शाम ६ बजते, पांडे जी नित्य संध्या समय अपने एक-दो मित्रों के साथ टहलते हुए शांति महसूस ...

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लेखक के बारे में
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कविता पन्त
समीक्षा
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  • author
    Diviya Pant
    07 जुलाई 2016
    एक प्रशंसनीय रचना! कहानी भाषा के माधुर्य को बखूबी उजागर करती है... सरल व मर्मस्पर्शी ... लेखिका को बधाई :)
  • author
    22 जून 2017
    माँ बाप तो जीवन का आधार है इनके बिना सूना संसार है.....
  • author
    Hemalata Godbole
    17 दिसम्बर 2019
    अपने बच्चों से शिकायत है क्यों?आपनेअपने बूढे मांबाप से जोकिया वे सब देख रहे हैं।अच्छा है जैसी करनी वैसी भरनी ये हम यूं ही दिलासा देते हैं पर उससे क्या ह सिल ? ,जब बेटोके साथ ये सब होगा तो हम आप बैठे रहेंगें क्या? अभी नहीं चेतरहे ये ।अगर बच्चों केसामने अपने मांबाप से थोडा प्यार मुझे न दे ख भाल करें तो उनके बेटे भी कुछ सीखेंगे गे वरनजो पिता से सीख लिया वो ही करने वाले हैं।शुभंभवतु
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    Diviya Pant
    07 जुलाई 2016
    एक प्रशंसनीय रचना! कहानी भाषा के माधुर्य को बखूबी उजागर करती है... सरल व मर्मस्पर्शी ... लेखिका को बधाई :)
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    22 जून 2017
    माँ बाप तो जीवन का आधार है इनके बिना सूना संसार है.....
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    Hemalata Godbole
    17 दिसम्बर 2019
    अपने बच्चों से शिकायत है क्यों?आपनेअपने बूढे मांबाप से जोकिया वे सब देख रहे हैं।अच्छा है जैसी करनी वैसी भरनी ये हम यूं ही दिलासा देते हैं पर उससे क्या ह सिल ? ,जब बेटोके साथ ये सब होगा तो हम आप बैठे रहेंगें क्या? अभी नहीं चेतरहे ये ।अगर बच्चों केसामने अपने मांबाप से थोडा प्यार मुझे न दे ख भाल करें तो उनके बेटे भी कुछ सीखेंगे गे वरनजो पिता से सीख लिया वो ही करने वाले हैं।शुभंभवतु