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जीवन में सबसे भारी कठिनाई को समझाती यह एक कविता

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मैं भ्रष्टाचार हूं मैं भ्रष्टाचार हूं तुम्हारा ही हथियार में तुम्हारा ही औजार हूं मैं भ्रष्टाचार हूं मिले बढ़ावा जितना भी मैं उससे भी अपार हूं मैं भ्रष्टाचार हूं अमीरी कि खुमारी मैं गरीबी सा विकार ...

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लेखक के बारे में

मैं एक कवि हूं और एक छात्र भी शायद आपके जीवन का पात्र भी जी हां मेरा नाम है प्रवीण उद्दे मैं मंडला मध्य प्रदेश से हूं और मैं दृष्टिबाधित दिव्यांग व्यक्ति हूं और मुझे सबका मनोरंजन करना अच्छा लगता है कविताओं और रूहानी किस्सों का मुझे ज्यादा शौक है प्रेरक कविताएं और आत्मिक कविताएं लिखना मुझे ज्यादा अच्छा लगता है और संगीत का भी शौक है अब तक मैंने चार कविताएं और एक कहानी लिखा है इस उम्मीद से प्रतिलिपि के इस मंत्रमुग्ध कर देने वाले संसार में कदम रख रहा हूं कि आप सब मेरी रचनाओं के माध्यम से मुझसे जुड़े और मुझ तक अपनी प्रेम वर्षा का एक एक बूंद छिड़कते रहे क्योंकि मैं प्रेम का ही प्यासा हूं कक्षा 12 तक की मेरी शिक्षा पूर्ण हो चुकी है अब आगे निकल पड़ा हूं मैं खुद की तलाश में

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    navneeta chourasia
    26 फ़रवरी 2021
    सच्चाई की अभिव्यक्ति 👌👌✍️
  • author
    Lakky Qureshi
    25 फ़रवरी 2021
    bahut acchi Rachna hai jivan ka sach
  • author
    Arunima Dinesh Thakur "अनु"
    28 फ़रवरी 2021
    अच्छा लिखा है आपने
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  • author
    navneeta chourasia
    26 फ़रवरी 2021
    सच्चाई की अभिव्यक्ति 👌👌✍️
  • author
    Lakky Qureshi
    25 फ़रवरी 2021
    bahut acchi Rachna hai jivan ka sach
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    Arunima Dinesh Thakur "अनु"
    28 फ़रवरी 2021
    अच्छा लिखा है आपने