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जीवन क्षण भंगुर

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जिस तरह मिट्टी के खिलौने बहुत जल्दी टूट जाते हैं, उसी तरह यह मानव तन है। क्षणभंगुर है इसकी भी मियाद उस समय तक की है जब उसका वक्त पूरा हो जाता है वह भी  नष्ट होकर मिट्टी में मिल जाता है। इसीलिए कबीर ...

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लेखक के बारे में

श्रीमती सुबोध चतुर्वेदी ,कथाकार ,कवियित्री हैं ,उनकी चार पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है | 'एक और बसंत ",तथा "अपना आकाश " ,काव्य संकलन एवं "नियति-चक्र " तथा "जाहि विधि राखे राम ",कथा -संकलन प्रकाशित हो चुके हैं | अन्य कथा संकलन "धूप छांह ","मृग तृष्णा " नाम से प्रकाशित हुए हैं |एक उपन्यास "लतिका " नाम से प्रकाशित हुआ है। एक नवीन काव्य संग्रह "सुबोधिनी" नाम से प्रकाशित हो चुका है।संस्मरण की पुस्तक "सुधियों के दीप"नाम से प्रकाश में आ चुकी है,जिसे पाठकों का भरपूर प्यार मिला है। "आपको पुरस्कृत भी किया जा चुका है |आपकी कुल नौ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    N Chow
    23 ഏപ്രില്‍ 2022
    nice
  • author
    Poonam Arora
    23 ഏപ്രില്‍ 2022
    बहुत उत्कृष्ट सृजन
  • author
    sinju maurya
    23 ഏപ്രില്‍ 2022
    जी यही सत्य है 🙏
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  • author
    N Chow
    23 ഏപ്രില്‍ 2022
    nice
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    Poonam Arora
    23 ഏപ്രില്‍ 2022
    बहुत उत्कृष्ट सृजन
  • author
    sinju maurya
    23 ഏപ്രില്‍ 2022
    जी यही सत्य है 🙏